केंद्रीय संस्कृत विवि की खेल-शैक्षिक स्पर्धाओं का शानदान आगाज,चौदहवें युवा महोत्सव के तहत उत्तर क्षेत्रीय खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं
केंद्रीय संस्कृत विवि की खेल-शैक्षिक स्पर्धाओं का शानदान आगाज,चौदहवें युवा महोत्सव के तहत उत्तर क्षेत्रीय खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं
देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली की उत्तर क्षेत्रीय खेल, सांस्कृतिक और शैक्षिक स्पर्धाओं का भव्य आगाज श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में हो गया। चौदहवें युवा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित इन स्पर्धाओं के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों के छात्रों की सहभागिता वाला यह खेल महाकुंभ हमारी सांस्कृतिक विविधता में एकता का संदेश देता है। भारत के पारंपरिक खेलों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत के लोगों का दर्शन अनूठा होता है। संस्कृत संस्थानों में अध्ययन करने वाला हर छात्र स्वयं में संस्कृत का ब्रांड एंबेसडर होता है।
संस्कृत विश्वविद्यालय की ब्रांड एंबेसडर श्रीमती संतोष यादव ने कहा कि संस्कृत हमारे पौराणिक ज्ञान की संवाहक होने के साथ-साथ ऐसी भाषा है, जो पूरी मानवता के कल्याण की कामना करती है। वर्तमान में आईटी और जनसंचार सेक्टर संस्कृत को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। संस्कृत क्षेत्र के बच्चे मोबाइल का सदुपयोग संस्कृत सीखने और इसमें निहित ज्ञान का सदुपयोग समाजकल्याण में करें। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों के बच्चों की अपेक्षा संस्कृत के बच्चे अधिक संयमी, शांत और निष्ठावान होते हैं, क्योकि वे पढ़ते-पढ़त मंत्रोच्चारण भी करते हैं। मंत्र हमारी संस्कृति के रीढ़ हैं। ये हमें विश्वास देते हैं, संकट में उबारते हैं और मार्गदर्शन करते हैं।
विशिष्ट अतिथि टीएचडीसी के कार्यकारी निदेशक लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने कहा कि सनातन संस्कृति हमें मानसिक संतोष देती है, यही हमें मोक्ष का मार्ग भी बताती है। बच्चों को चरित्रनिर्माण की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि यह व्यक्तित्व विकास का महत्त्वपूर्ण सोपान है। श्री जोशी ने कहा कि आज हर व्यक्ति और संस्था विकास चाहते हैं, परंतु हमें विकास के मानक तय करने होंगे। विकास ऐसा हो कि वह अपने पीछे कष्ट, परेशानियां तथा अन्य दुष्प्रभाव न छोड़ सके। विकास का उद्देश्य मनुष्य और प्रकृति को सुख-समृद्धि देने वाला होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो0पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि देवप्रयाग जैसे सबसे नवीन को परिसर को इस बार इन खेल स्पर्धाओं को आयोजित करने का अवसर मिलना स्वयं में गौरव की बात है। संस्कृत का संरक्षण, संस्कृत के छात्रों को वृत्ति के प्रति प्रोत्साहित और मार्गदर्शन करना तथा यहां के छात्रों को समाज और राष्ट्र की सेवा के योग्य बनाना परिसर का उद्देश्य है।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर विभिन्न परिसर और आदर्श महाविद्यालयों से आई टीमों ने मुख्य अतिथि के सामने मार्च पास्ट कर सलामी दी। अतिथियों का स्वागत समन्वयक डॉ0 अनिल कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 ब्रह्मानंद मिश्र ने किया। इस अवसर पर सह निदेशक प्रो0 चंद्रकला आर.कोंडी, डॉ. शैलेंद्रनारायण कोटियाल, डॉ0 शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ0 सुशील प्रसाद बडोनी, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, डॉ0 सूर्यमणि भंडारी, डॉ0 सुरेश शर्मा, डॉ0 मुकेश कुमार, डॉ0 योेगेंद्र दीक्षित, डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल आदि उपस्थित थे।
प्रतियोगिताओं के तहत बैडमिंटन, कबड्डी, शतरंज, खो-खो, दौड़, लंबी और ऊंची कूद, समूह गान, समूह नृत्य, एकल गान, वार्ता लेखन इत्यादि स्पर्धाएं हो रही हैं। प्रतियोगिताओं में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग के साथ ही रणवीर परिसर, (जम्मू) वेदव्यास परिसर, (हिमाचल), भगवानदास आदर्श महाविद्यालय, हरिद्वार, एसडी आदर्श महाविद्यालय हिमाचल, रानी पद्मावती तारा योगतंत्र आदर्श महाविद्यालय उत्तर प्रदेश, श्री दिवानकिशोर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरियाणा, श्री माता वैष्णोदेवी गुरुकुलम कटरा की टीमें हिस्सा ले रही हैं।