Wednesday, October 9, 2024
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डॉ0 बर्त्वाल की पुस्तक का विमोचन, रवांल्टा को हिंदी सेवा सम्मान, रघुनाथ कीर्ति परिसर में डॉ0 ’निशंक’ और विनोद कंडारी ने दिये पुरस्कार

डॉ0 बर्त्वाल की पुस्तक का विमोचन, रवांल्टा को हिंदी सेवा सम्मान, रघुनाथ कीर्ति परिसर में डॉ0 ’निशंक’ और विनोद कंडारी ने दिये पुरस्कार

देवप्रयाग। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ’निशंक’ और विधायक विनोद कंडारी तथा संस्कृत शोध छात्रा ऋतु जियाल ने लेखक डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल की शोध पुस्तक ’नौ नाथ, चौरासी सिद्ध’ का विमोचन किया। हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में इस बार का ’श्री रघुनाथ कीर्ति हिंदी सेवा सम्मान’ प्रसिद्ध कथाकार महावीर रवांल्टा को प्रदान किया गया। हिंदी की विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को भी अतिथियों ने पुरस्कार प्रदान किये।


केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में 14 सितंबर को आरंभ हुए हिंदी पखवाड़ा कार्यक्रम का रविवार को विभिन्न कार्यक्रमों के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल की पुस्तक का विमोचन करते हुए डॉ0 निशंक ने कहा कि डॉ0 बर्त्वाल वर्षों से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए कार्य कर रहे हैं। उनकी इस पुस्तक में नाथ-सिद्ध परंपरा का बारीकी से विश्लेषण किया गया है। गढ़वाल की धर्म और अध्यात्म भावना पर नाथ-सिद्धों का गहरा प्रभाव रहा है। आने वाली पीढ़ी के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है।


प्रसिद्ध कथाकार महावीर रंवाल्टा को वर्ष 2024 का श्री रघुनाथ कीर्ति हिंदी सेवा प्रदान करते हुए उन्होंने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर ने इस सम्मान की शुरुआत कर सराहनीय कार्य किया है। यह नवोदित लेखकों के लिए प्रेरणादायी है। महावीर रवांल्टा के लेखन को उत्कृष्ट साहित्य बताते हुए उन्होंने कहा कि श्री रवांल्टा का हिंदी के साथ ही गढ़वाल की रवांल्टी भाषा पर भी श्लाघनीय कार्य है। उनका कार्य इन दोनों भाषाओं की अमूल्य निधि है।
विभिन्न स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने कहा कि हिंदी संस्कृत की ताकत है। संस्कृत को स्वस्थ और समृद्ध करने के लिए हिंदी का मजबूत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए संस्कृत और हिंदी दोनों का बड़ा महत्त्व है और ये दोनों हमारे देश के लिए आवश्यक हैं। संस्कृत के संपूर्ण ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया जाना चाहिए और हिंदी के सभी ग्रंथ संस्कृत में अनूदित होने चाहिए। हिंदी की लोकप्रिययता दिनोदिन बढ़ती जा रही है और पूरे विश्व में उसका वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया और अपने केंद्रीय शिक्षा मंत्रित्व काल में तीन संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाया, क्योंकि संस्कृत भारत की आत्मा है। उन्होंने छात्रों का आह्वान किया केवल डिग्री लेना ही शिक्षा नहीं है। अपने व्यक्तित्व में समाजसेवा, राष्ट्रसेवा और आत्मनिर्भरता भी लानी होगी।


विशिष्ट अतिथि देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी ने कहा कि युवाओं को अध्ययन काल में अपना लक्ष्य स्पष्ट कर देना चाहिए, वरना बाद में पछतावा होता है। उन्होंने कहा कि मेधा, लगन और परिश्रम ये तीनों सफलता के द्वार हैं। उन्होंने श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर को उत्तराखंड के लिए महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यहां के मेधावी बच्चों को भी मैं भारत भ्रमण कार्यक्रम में ले जाना चाहता हूं।
सारस्वत अतिथि दृष्टिबाधित शोध छात्रा ऋतु जियाल ने छात्रों को गहन अध्ययन के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में कठिन कुछ भी नहीं है। सोच सकारात्मक हो तो सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। ऋतु ने कहा कि मैं बहुत कठिनाइयों को मन में आसान बनाकर उनसे पार पा लेती हूं। सभी को ऐसा करना चाहिए। ऋतु ने कहा कि गढ़वाल से दिल्ली जाकर वहों के विश्वविद्यालय में पढ़ाई करना मेरे लिए कितना कठिन रहा होगा, लेकिन मैंने यह सोचा ही नहीं, इसलिए मैंने वहां से एमए कर लिया और अब पीएचडी भी पूरी होने वाली है।
’नौ नाथ चौरासी सिद्ध’ के लेखक डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने कहा कि यह पुस्तक नई पीढ़ी के लिए अतीत का आईना है। इसमें विशेषकर नौ नाथों और चौरासी सिद्धों के संबंध चर्चा किए जाने के साथ ही संस्कृत और गढ़वाली के पारस्परिक संबंधों का विश्लेषण किया गया है।
अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि हिंदी आज भारत की जरूरत बन चुकी है। यह पूरे भारत की एकता और संपर्क का आधार हो गयी है। देश के बड़े उद्योग मीडिया, फिल्म इसीकी आधारशिला पर टिके हैं। हिंदी के स्थान पर दूसरी भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 ’निशंक’ तथा विनोद कंडारी समेत सभी अतिथियों, छात्रों तथा परिसर कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ’मन की बात’ कार्यक्रम एक साथ देखा। डॉ0 ’निशंक’ ने कहा कि सभी छात्रों के देश के नामी उद्यमियों से आत्मनिर्भरता और कर्मठका की प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजनक डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, सह संयोजनक रजत गौतम छेत्री, सह संयोजक डॉ0 अमंद मिश्र, अंकुर वत्स, डॉ0 शैलेन्द्र नारायण कोटियाल, डॉ0 शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, पंकज कोटियाल, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 रश्मिता, डॉ0 श्रीओम शर्मा, डॉ0 सुरेश शर्मा, डॉ0 सोमेश बहुगुणा विदूषी निशंक, आर्यनदेव उनियाल, शशि ध्यानी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 ब्रह्मानंद मिश्रा ने किया।

इन विद्यार्थियों को दिये गये पुरस्कार
शास्त्री हिंदी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में गौरव पांडेय प्रथम, अमन भट्ट द्वितीय, रोहित थपलियात तृतीय रहे। अरुण और पूजा को सांत्वना पुरस्कार मिला। आशुभाषण में अभिषेक गौड़ प्रथम, हिमांशु भट्ट द्वितीय, अजय भट्ट तृतीय तथा आदर्श पांडेय चतुर्थ रहे। निबंध लेखन में कशिश भट्ट प्रथम, माधुरी द्वितीय, अमन भट्ट तृतीय तथा मयंत तिवारी चतुथ रहे। आचार्य की निबंध स्पर्धा में गिरीशचंद्र भट्ट प्रथम कुशाग्र अत्री द्वितीय, दीपांक्षा तृतीय तथा सुधीर शर्मा चतुर्थ रहे। कर्मचारियों की हिंदी भाषा सामान्य ज्ञान स्पर्धा में सुखबीर प्रथम, अमित कुमार द्वितीय तथा अजय कुमार तृतीय रहे। सांस्कृतिक स्पर्धा में ज्योति प्रथम, कीर्ति बड़ोदिया द्वितीय, ख्याति तृतीय तथा पूर्वी चतुर्थ रही। वाद-विवाद में पक्ष में आकाश तिवारी प्रथम, देवाशीष डिमरी द्वितीय, हार्दिक पांडेय तृतीय रहे। वाद-विवाद विपक्ष में श्यामांश शुक्ल प्रथम, ममता सुयाल द्वितीय तथा प्रदीप कुमार द्विवेदी तृतीय रहे।

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