उत्तराखंड! यहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा, जानिए क्या है वजह
उत्तराखंड में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हनुमान जी की पूजा भी नहीं होती और रामलीला पर भी यहां प्रतिबंध है। यह भी मान्यता है कि एक बार जब यहां रामलीला हुई थी तो यहां आपदा आ गई थी तब से रामलीला पर यहां प्रतिबंध है यहां ईष्ट देव के रूप में पर्वत देवता को पूजा जाता है।
यहां हनुमान जी पहुंचे थे उड़कर आप पहुंचेंगे सड़क मार्ग से
मान्यता है की उत्तराखंड के चमोली जिले के द्रोणागिरी गांव में संजीवनी बूटी की तलाश में हनुमान जी उड़कर पहुंचे थे। तिब्बत सीमा क्षेत्र का यह सबसे दूरस्थ गांव द्रोणागिरी, पर्यटन और धार्मिक लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस गांव में अभी भोटिया जनजाति के करीब 50 परिवार रहते हैं। चमोली जिले के इस गांव तक पहुंच आसान बनाने के लिए जल्द ही ढाई किलोमीटर सड़क का निर्माण होने जा रहा है। यह सड़क बनने के बाद गांव से सड़क की दूरी महज़ 4 किलोमीटर ही रह जाएगी। पहले चरण में यहां करीब 7 किलोमीटर की सड़क बन चुकी है। अब लक्ष्य है कि जल्द गांव को सड़क से जोड़ा जाए।
ग्रामीणों की मांग को देखते हुए जल्द होगा सड़क निर्माण
तिब्बत सीमा क्षेत्र का यह सबसे दूरस्थ गांव है। ग्रामीणों को इससे पहले सड़क तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी। ग्रामीणों की लगातार मांग थी कि यहां सड़क का विस्तार किया जाए। अब ग्रामीणों की मांग को देखते हुए शासन स्तर पर ढाई किलोमीटर सड़क के निर्माण को स्वीकृति मिल गई है। जिसकी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो गई है।
यहां उड़कर पहुंचे थे हनुमान जी, लेकिन नहीं होती हनुमान जी की पूजा
मान्यता है कि संजीवनी बूटी की खोज में हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पहुंचे थे। लेकिन यहां के ग्रामीण हनुमान जी से खफा हैं। द्रोणागिरी के ग्रामीण आज भी हनुमान जी की पूजा नहीं करते। जिसकी वजह है कि संजीवनी बूटी की खोज में हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत का एक बड़ा हिस्सा अपने साथ उखाड़ ले गए थे। गांव के लोग पर्वत देवता की पूजा करते हैं हनुमानजी की पूजा नहीं करते यहां रामलीला का आयोजन भी नहीं होता।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की थी द्रोणागिरी के लिए बड़ी घोषणा
वर्ष 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने द्रोणागिरी के लिए बड़ी घोषणा की थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने द्रोणागिरी में संजीवनी गार्डन बनाने की घोषणा की थी। जिसके लिए 15 लाख की धनराशि भी स्वीकृत की गई थी। गैरसैण में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने क्या घोषणा की थी।