पुराने चारधाम यात्रा मार्ग पर की यात्रा पौड़ी जिला प्रशासन की अभिनव पहल
पुराने चारधाम यात्रा मार्ग पर की यात्रा पौड़ी जिला प्रशासन की अभिनव पहल
प्राचीन बदरी केदार यात्रा पथ को पुनर्जीवित किये जाने के उद्देश्य से ऋषिकेश से शुरू हुई गंगा पथ यात्रा का देर शाम देवप्रयाग में गंगा आरती के बाद समापन हुआ। गंगा आरती एवं भजन संध्या का आयोजन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर की ओर से किया गया। शनिवार को परमार्थ निकेतन ऋषिकेश से स्वामी चिदानंद मुनि व जिलाधिकारी पौड़ी डॉ. आशीष चौहान ने यज्ञ- पूजन के साथ यात्रा की शुरुआत की। देवप्रयाग तक के लिए प्राचीन पौराणिक चारधाम पैदल मार्ग पर गंगा पथ यात्रा के पड़ावों पर यात्रा का ग्रामीणों ने फूलमालाओं से स्वागत किया। पहली बार आयोजित गंगा पथ यात्रा में बड़ी संख्या में विदेशी व अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हुए। पैदल यात्रियों में पुराने पैदल यात्रा मार्ग पर चलने का विशेष उत्साह था। ऋषिकेश से फूल चट्टी, नंद गाँव, बंदर चट्टी, महादेव चट्टी,चाँद पुर,ब्यास घाट होते यात्रा रात 8 बजे देवप्रयाग संगम पहुँची। यहाँ पहले से ही केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के विद्यार्थी भजन-कीर्तन कर रहे थे। यात्रा में आए जिलाधिकारी डॉ.चौहान,अपर जिलाधिकारी इला गिरी गोस्वामी,अनेक विदेशी नागरिकों,प्रशासनिक अधिकारियों आदि ने गंगा आरती की। समापन कार्यक्रम में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने जिला प्रशासन के इस प्रयास को ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने वाला कदम बताते हुए इसके लिए जिलाधिकारी का धन्यवाद ज्ञापित किया। जिलाधिकारी डॉ.चौहान ने कहा कि यात्रा का उद्देश्य यह भी बतलाना है कि प्राचीन समय में हमारे पूर्वज किन कठिन हालात में तीर्थ यात्रा पर जाते थे। गंगा आरती के आचार्य वेदविभाग संयोजक डॉ.शैलेन्द्रप्रसाद उनियाल थे। इस अवसर पर भारी संख्या में तीर्थ यात्री भी उपस्थित थे।