Wednesday, December 4, 2024
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अनंत है शब्द की महिमा,व्याकरण शब्द का आधार, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया गया शास्त्रार्थ 

अनंत है शब्द की महिमा,व्याकरण शब्द का आधार, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया गया शास्त्रार्थ 

देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न अवधारणाओं और सिद्धांतों पर शास्त्रार्थ किया गया।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद और श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के व्याकरण विभाग के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि प्रो.विजयपाल शास्त्री ने कहा कि शब्द जगत में महाभाष्य का बड़ा महत्त्व है। इस संबंध में कहा गया है कि महाभाष्य पढ़ाना और विशाल राज्य का प्रबंधन करना एक जैसा है। वैयाकरणों ने शब्द-अर्थ के बीच के संबंधों पर गंभीर विमर्श कर परिणाम निकाले हैं

 

उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में शब्द बहुत कुछ है। सब कुछ शब्दों पर ही निर्भर है। शब्द का आधार व्याकरण है। इसलिए व्याकरण महत्त्वपूर्ण है। ‘नवाह्निक व्याकरणभाष्यकोश:’ शीर्षक पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो.अशोकचंद्र गौड़ शास्त्री ने कहा कि उन्होंने शब्दों को लेकर भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद की एक वर्षीय परियोजना सफलतापूर्वक पूर्ण कर ली है,अब उन्हें महाभाष्य के शब्दों पर ही दो वर्ष की एक अन्य परियोजना पर कार्य करना है। उन्होंने कहा कि संस्कृत के इन शब्दों को हिंदी माध्यम से अध्येताओं के बीच ले जाना है, ताकि अधिक संख्या में लोग उनसे परिचित हो सकें। व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डॉ.गणेश्वर झा ने इस अवसर पर व्याकरण के विभिन्न नियमों पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम के आरंभ में संयोजक डॉ.सूर्यमणि भंडारी ने संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए उसकी उपादेयता स्पष्ट की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि ऐसे शास्त्रार्थों से बच्चों को विषय की गहराई में जाने का सुअवसर प्राप्त होता है। किसी भी विषय पर तर्कयुक्त,गंभीर और स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए, परंतु वह ईर्ष्या,द्वेष रहित हो। उन्होंने कहा कि शीतकाल में परिसर में ऐसी ही शास्त्रार्थ सभा का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ.दीपक कोठारी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ.मनीष शर्मा ने किया।

इस अवसर पर डॉ.सच्चिदानंद स्नेही, डॉ.शैलेंद्र नारायण कोटियाल, डॉ शैलेन्द्र प्रसाद उनियाल, डॉ वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, डॉ ब्रह्मानंद मिश्र,डॉ अरविन्द सिंह गौर, डॉ सुशील प्रसाद बडोनी, डॉ अनिल कुमार, डॉ दीपक पालीवाल,रजत गौतम छेत्री, जनार्दन सुवेदी, डॉ अमंद मिश्र, साहिल शर्मा, कुशाग्र अत्री,करुण कुमार, उर्मिला आदि उपस्थित थे।

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