Sunday, May 25, 2025
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यूजीसी सचिव ने किया दो विश्वविद्यालय परिसरों का भ्रमण, केंद्रीय संस्कृत विवि के श्री रघुनाथ कीर्ति और गढ़वाल विवि के चौरास परिसर का दौरा

यूजीसी सचिव ने किया दो विश्वविद्यालय परिसरों का भ्रमण, केंद्रीय संस्कृत विवि के श्री रघुनाथ कीर्ति और गढ़वाल विवि के चौरास परिसर का दौरा

देवप्रयाग। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो.मनीष आर. जोशी ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरासी परिसरों का भ्रमण कर व्यवस्थाएं परखीं। दोनों विश्वविद्यालय परिसरों की प्रगति और सुविधाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने अनेक समस्याओं के निस्तारण का आश्वासन दिया। प्रो.जोशी ने गंगा स्नान कर श्री रघुनाथ भगवान्,चंद्रबदनी और धारी देवी मंदिर के भी दर्शन किये।
यूजीसी सचिव प्रो.जोशी केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर पहुंचे। यहां निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने उनका स्वागत किया। उन्होंने परिसर के पुस्तकालय समेत सभागार इत्यादि का भ्रमण किया और कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी तथा के साथ विश्वविद्यालय तथा श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में छात्रों की संख्या, छात्रावास, भोजन व्यवस्था, पुस्तकालय, पाठ्यक्रम इत्यादि के संबंध में चर्चा की। उन्होंने परिसर में छात्रों के भोजन की सहकारी व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा इससे छात्रों में प्रबंधकीय गुणों का विकास होता है। उन्होंने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की संस्कृत शिक्षा की विधि और व्यवस्था में गहन रुचि लेते हुए इसकी प्रशंसा की।


एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में प्रो.जोशी के पहुंचने पर प्रति कुलपति प्रो.आरसी भट्ट समेत अनेक प्रोफेसरों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने यूजीसी सचिव का इस बात के लिए आभार जताया कि ग्रेजुएशन की सीयूईटी परीक्षा को ऑफलाइन कर दिया गया है, क्योंकि ऑनलाइन परीक्षा होने से विश्वविद्यालय को बहुत परेशानी होती थी, छात्रों की संख्या बहुत अधिक होती थी, जबकि विश्वविद्यालय के पास पर्याप्त संसाधन नहीं थे। नेटवर्क चले जाने से भी दिक्कत होती थी। अधिकारियों ने अनुरोध किया कि सीईयूटी पीजी में भी यही व्यवस्था की जाए।


यूजीसी सचिव प्रो.जोशी ने चौरास परिसर में चल रही रसायन विज्ञान विभाग की कार्यशाला में छात्रों को भी संबोधित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो.भट्ट को आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय की सभी परेशानियां लिखकर भेजें,सभी का समाधान किया जाएगा, ताकि व्यवस्था में कोई अड़चन न आने पाये।

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