संस्कार और संस्कृति आधारित बना साहित्य का पाठ्यक्रम, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में ’सम्पूर्ण साहित्य पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण कार्यशाला’, देश के नामी विद्वानों ने लिया भाग
संस्कार और संस्कृति आधारित बना साहित्य का पाठ्यक्रम, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में ’सम्पूर्ण साहित्य पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण कार्यशाला’, देश के नामी विद्वानों ने लिया भाग
नई शिक्षा नीति के अनुसार बनाया गया है पाठ्क्रम: प्रो0 वरखेड़ी
देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य का पूरा पाठ्क्रम परिवर्तित कर दिया गया है। नया पाठ्क्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार बनाया गया है। इसमें छात्रों की नैतिकता, चारित्रिकता तथा संस्कारिकता को ध्यान में रखा गया है। इसमें प्राचीनता और आधुनिकता का समन्वय, पर्यावरण संरक्षण, मानव मूल्य, अनुवाद आदि जैसे विषयों को प्रमुखता दी गयी है। महाभारत, रामायण, अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे ग्रंथों से इस पाठ्क्रम में सामग्री संकलित की गयी है। इसमें भारतीय संस्कृति तथा व्यावहारिकता का भी विशेष ध्यान रखा गया है। कार्यशाला में देश के प्रसिद्ध विषय विशेषज्ञ विद्वानों ने हिस्सा लिया।
श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में दस दिवसीय पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला 21 नवंबर को शुरू हुई थी तथा 30 नवंबर को इसका समापन हुआ। शास्त्री(बीए) से लेकर आचार्य (एमए) तक के लिए यह सिलेबस बनाया गया है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध विद्वानों तथा शास्त्रज्ञों के बीच हुए मंथन, उनके सुझावों तथा विचारों के आधार पर पाठ्यक्रम को नया रूप दिया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि यह पाठ्क्रम नई शिक्षा नीति के अनुसार है। यह छात्र केंद्रित है। इस पाठ्क्रम के अनुसार अध्ययन करने के बाद छात्रों का भविष्य संवरेगा। उन्हें अनावश्यक अध्ययन और जटिलताओं से मुक्ति दिलाना भी इसके पीछे मंशा थी। भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित इस पाठ्क्रम में मूल्य आधारित ज्ञान होगा। कुलपति प्रो0 वरखेड़ी ने कहा कि कुछ आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इसे शीघ्र लागू करने का प्रयास किया जाएगा। पाठ्यक्रम निर्माण से पहले व्यापक स्तर पर शोध, चर्चा, मंथन और होमवर्क किया गया है, ताकि न तो छात्रों को किसी स्तर पर परेशानी हो और न अध्यापकों को। पाठ्यक्रम के निर्माण का उद्देश्य छात्रों को ज्ञानी, विद्वान बनाने के साथ ही देश का कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाना भी है।
इस ’सम्पूर्ण साहित्य पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण कार्यशाला का प्रस्ताविक प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के शैक्षिक वृत्त अधिष्ठाता प्रो0 बनमाली बिश्वाल ने कहा कि समय, परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रमों का पुनर्निमाण और संशोधन अनिवार्य है। यह शिक्षा व्यवस्था और विश्वविद्यालयों के हित में भी आवश्यक है। विद्वानों का स्वागत करते हुए श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि श्री रघुनाथ जी की पुण्य भूमि पर साहित्य का नया पाठ्क्रम बनाया जा रहा है। उन्होंने आशा जताई कि यह पाठ्क्रम छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अनिल कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 विजयपाल शास्त्री ने किया। कार्यक्रम में लखनऊ परिसर के निदेशक प्रो0 सर्वनारायण झा, भोपाल परिसर के निदेशक प्रो0 रमाकांत पाण्डेय, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रो0 ओमनाथ बिमली, प्रो0 भारतेंदु पाण्डेय, प्रो. सूर्यमणि रथ, प्रो0 रामकुमार शर्मा, प्रो0 राघवेंद्र भट्ट, प्रो0 ई0आर0 नारायण, प्रो0 टी0 शंकर नारायण, डॉ0 सुज्ञान मोहंती आदि ने सहयोग किया। संयोजन डॉ0 अनिल कुमार ने किया।