हिंदुस्तानी हर भाषा हिंदी की सगी सहेली है, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
हिंदुस्तानी हर भाषा हिंदी की सगी सहेली है, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने हिंदी की महत्ता बताई। विभिन्न रचनाओं में कवियों ने कहा कि हिंदी ऐसी भाषा है, जो वर्तमान में भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक बन गयी है। यह विश्वभाषा का गौरव प्राप्त चुकी है।
हिंदी पखवाड़ा कार्यक्रम के तहत आयोजित कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि गजेंद्र सोलंकी ने सुनाया-
रसों, छंदों, अलंकारों का सुरक्षित गांव है हिंदी,
सनातन प्रेम संस्कारों का एक काम है हिंदी,
बही विश्व के आंगन में हिंदी की पुरवाई
मेरे देश के बसैया हिंदी को अपनाओ
ओ, हिंदुस्तान के बसैया हिंदी को अपनाओ
हिंदी संस्कृत की बेटी एकदम नवी नवेली है।
हिंदुस्तानी हर भाषा हिंदी की सगी सहेली है।
वरिष्ठ कवि श्रीकांत श्री ने भगवान श्री राम की महिमा का गुणगान करते हुए उत्तराखंड में स्थित सनातनियों के तीर्थधामों का महिमा का बखान किया।
जसबीर सिंह ’हलधर’ ने गांवों की दुर्दशा पर सुनाया-
मैं जिन्हंे तुम कहा वो बाप हो गये, बच्चे खिलाये गोद में , वो बाप हो गये
पोतों के हाथ आ गयी चौपाल गांव की, करने लगे हैं फैसले वो खाप हो गये।
पारिवारिक परिस्थितियों को मनोरंजन से जोड़ते हुए डॉ0 ऋतु ने प्रस्तुत किया-
तू-तू मैं-मैं के पचड़े में पड़ना बहुत जरूरी है,
एक दूजे के मत्थे गलती मढ़ना बहुत जरूरी है।
प्यार अगर ताजा रखना है तो लड़ना बहुत जरूरी है।
धर्मेंद्र उनियाल ’धर्मी’ ने प्यार-मोहब्बत का माहौल बनाते हुए सुनाया-इस दीवानगी ने मेरा क्या हाल कर रखा है, मैंने उसके खत का पुर्जा-पुर्जा संभाल रखा है।
उन्होंने फिर सुनाया-कहानी एक प्यारी सी चल रही थी
उसकी और हमारी चल रही थी
अलार्म ने उड़ा दी नींद वरना
शादी की तैयारी चल रही थी।
अवनीश मलासी ने शिव-पार्वती संवाद का सुंदर वर्णन किया। कवि डॉ0 सोमेश बहुगुणा ने भारत के गौरव का गणुगान किया। डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने शृंगार रस आधारित ’तुम’ शीर्षक की कविता सुनाई। उन्होंने ’भुला मैं कवि नि छौं’ शीर्षक वाली गढ़वाली कविता का वाचन भी किया।
इससे पहले कवि सम्मेलन के शुभारंभ अवसर पर छात्रा मोनिका नौगाईं ने गढ़वाली में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि पूर्व दर्जा राज्य मंत्री राजकुमार पुरोहित ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षण संस्थानों में कवि सम्मेलनों का होना बहुत आवश्यक है। छात्र कवियों से मनोरंजन के साथ शिक्षा और प्रेरणा ग्रहण करते हैं। कवि समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं। कवि सम्मेलन शिक्षण संस्थाओं के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के छात्रों को भारत के गौरव से परिचित कराया जाना बहुत आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा उत्तराखंड की हिंदी की तीन दिवंगत विभूतियों चंद्रकुंवर बर्त्वाल, इलाचंद्र जोशी तथा विद्यासागर नौटियाल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हिंदी हमारे देश में एक दूसरे को निकट लाने का कार्य करती है। यह विश्वस्तर पर भी वर्चस्व कायम कर चुकी है। कार्यक्रम का संचालन साहित्य के प्राध्यापक डॉ0 सोमेश बहुगुणा ने किया। इस अवसर पर प्रो0 चंद्रकला आर0 कोंडी, डॉ0 शैलेंद्र नारायण कोटियाल, डॉ0 शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, डॉ0 सूर्यमणि भंडारी, डॉ0 अमंद मिश्र, डॉ0 श्रीओम शर्मा, डॉ0 सुरेश शर्मा, जनार्दन सुवेदी, डॉ0 रश्मिता, डॉ0 सुधांशु वर्मा, रजत गौतम छेत्री आदि उपस्थित थे।