गढ़वाल के सुदूरवर्ती क्षेत्र में संस्कृत छात्रों की धमक संस्कृत में ’बालचरितम्’ नाटक मंचित, गढ़वाली हिंदी का मिश्रण
गढ़वाल के सुदूरवर्ती क्षेत्र में संस्कृत छात्रों की धमक
संस्कृत में ’बालचरितम्’ नाटक मंचित, गढ़वाली हिंदी का मिश्रण
देवप्रयाग। संगीत और अभिनय किसी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रभावी माध्यम होते हैं। संस्कृत छात्रों ने सशक्त नाट्य अभिनय और अभिव्यक्ति के बूते यह बात साबित कर दी। उन्होंने न केवल दर्शकों को आकर्षित किया, अपितु संस्कृत के प्रति उनके मन में प्रेम के बीज गहराई तक अंकुरित कर डाले। मौका था चमोली जनपद के थराली में अभिनीत बधाणी महोत्सव-2023 का।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के छात्रों ने इस बार चमोली जनपद के थराली में अभिनीत बधाणी महोत्सव में ’बालचरितम्’ नाटक का धमाकेदार मंचन किया। पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य मंे आयोजित होने वाले इस महोत्सव में इन छात्रों की पहली बार की ही प्रस्तुति से दर्शक गद्गद हो गये। श्रीकृष्ण की बाललीलाओं पर केंद्रित इस नाटक की खास बात यह रही कि इसमें संस्कृत के साथ हिंदी और गढ़वाली भाषाओं का मिश्रण किया गया, ताकि जनसामान्य इसे समझ सके। नाटक के निर्देशक विनोद शर्मा और मार्गदर्शक साहित्य प्राध्यापक डॉ0 दिनेशचन्द्र पाण्डेय का यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा।
पूरे नाटक के दौरान दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही। हिंदी और गढ़वाली समझ में आने के कारण अनुमान के आधार पर दर्शक संस्कृत वाक्यों को भी ग्रहण करने में सफल हो गये। श्रीकृष्ण की बाललीलाओं और चमत्कारों को देख दर्शक भावविभोर हो गये। संस्कृत छात्रों ने कुछ समय के लिए आध्यात्मिक वातावरण की अभिसृष्टि कर दी।
आयोजक संस्था पिंडर घाटी बहुद्देश्यीय विकास एवं सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद्र देवराड़ी ने कहा कि महोत्सव में पहली बार श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के छात्रों ने संस्कृत के साथ ही अन्य दो भाषाओं में बेहतरीन नाटक का मंचन कर आयोजन पर चार चांद लगा दिये हैं। इससे अनेक लोगों के मन में संस्कृत के प्रति बनी कुछ धारणाएं दूर हुई हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में हर साल उक्त परिसर के छात्रों को इस आयोजन का हिस्सा बनाया जाएगा।
इससे पहले विनोद शर्मा के निर्देशन में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में छात्रों ने नाट्य अभिनय का कड़ा अभ्यास किया। विनोद केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से ही नाट्यशास्त्र में स्नातकोत्तर कर रहे हैं। थराली में उत्कृष्ट प्रस्तुति पर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि इस नाटक को भविष्य में अन्य स्थानों पर भी मंचित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी की संकल्पना संस्कृत के साथ स्थानीय भाषाओं को भी महत्त्व देने की है। इसीके अनुरूप नाटक में यह भाषायी मिश्रण किया गया। संस्कृत को गढ़वाल के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए इसी प्रकार के अभिनव प्रयोग किये जाएंगे। नाट्य दल में धनंजय देवराड़ी, शुभम भट्ट, मधु, शिवानी ठाकुर, शशांक चंदोला, सुधांशु पंत, पीयूष तिवारी, ओम थपलियाल, भुवन जोशी, आयुष उनियाल, अंशुल उनियाल, अरुण प्रसाद, कुशाग्र अत्री, संजय शर्मा, गिरीश चंद्र भट्ट आदि शामिल थे।