’श्री रघुनाथ कीर्ति हिन्दी सेवा सम्मान’ प्रो0 राखी को, प्रतिवर्ष हिन्दी पखवाड़े पर दिया जाता है यह पुरस्कार
’श्री रघुनाथ कीर्ति हिन्दी सेवा सम्मान’ प्रो0 राखी को, प्रतिवर्ष हिन्दी पखवाड़े पर दिया जाता है यह पुरस्कार
देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर द्वारा इस वर्ष का ’श्री रघुनाथ कीर्ति हिन्दी सेवा सम्मान’ जानी-मानी लेखिका और शिक्षाविद् प्रो0 राखी उपाध्याय को दिया गया। हिन्दी पखवाड़े के समापन पर यह पुरस्कार मुख्य अतिथि पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक डॉ0 सविता मोहन तथा परिसर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम के हाथों दिया गया।
इस अवसर पर डॉ0 सविता ने कहा कि दृष्टि से अधिक ध्वनि का महत्त्व होता है। ध्वनि के कारण भी काफी सीमा तक हम किसी को प्रभावित करते हैं। ध्वनि शब्द का अंश है। जिसकी दृष्टि नहीं होती, वह ध्वनि के सहारे ही जीवन यापन करता है।
डॉ0 सविता ने कहा कि आज के लिहाज से ध्वनि का स्थान दृष्टि से बड़ा है। इसमें सच्चाई और वास्तविकता है। दृष्टिहीन लोग इस दुनिया में भले ही दृष्टि के कारण अनेक परेशानियों से जूझते होंगे, परंतु ध्वनि उनके जीवन का सहारा बन जाती है। मंत्रों का महत्त्व और प्रभाव भावना और ध्वनियों के ही कारण है। संस्कृत और हिन्दी के स्वर-व्यंजनों में ध्वनि ही की अहमियत है। हमारे मंत्र द्रष्टाओं और वैयाकरणों ने ध्वनियों पर बहुत चिंतन-मंथन और मनन किया है। अक्षर थोड़ा उल्टे-सीधे लिखे हों, फिर भी पहचाने जाते हैं, परंतु ध्वनियां गलत हों, तो शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं। हमारे वैदिक मंत्रों की आधारशिला शब्दों के साथ ही ध्वनि और लय ही है।
विशिष्ट अतिथि संस्कृत की शोधार्थी कु0 ऋतु जियाल ने कहा कि संस्कृत और हिन्दी का सम्बन्ध अमिट है। हम हिन्दी को संस्कृत से अलग नहीं कर सकते। आज के परिप्रेक्ष्य में दोनों भाषाएं एक-दूसरी की पूरक बन चुकी हैं। हमें संस्कृत का खूब प्रचार-प्रसार और संरक्षण करना है तो इसके लिए हिन्दी का भी संरक्षण करना होगा, क्योंकि संस्कृत की रक्षा हिन्दी के ही माध्यम से संभव है। दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत के अंतर्गत दर्शन विषय पर शोध कर रही दृष्टिबाधित छात्रा ऋतु ने कहा कि भाषा कोई भी अनुपयुक्त और महत्त्वहीन नहीं होती है, लेकिन भारत के परिप्रेक्ष्य में कहें तो संस्कृत यहां की देववाणी, ज्ञान की वाहक प्राचीन वैज्ञानिक भाषा है, जबकि हिन्दी भारत के सबसे अधिक जनों की भाषा है। यह भारत के बाहर भी लोकप्रिय हो रही है।
अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि संस्थानों में स्पर्धाओं का आयोजन केवल पुरस्कार देने के लिए नहीं होता, अपितु बच्चों में शैक्षिक तथा अन्य गतिविधियों में आगे बढ़ने की भूख जगाने के लिए होता है। स्पर्धाओं में जितना महत्त्वपूर्ण प्रथम तीन स्थान प्राप्त करना है, उतना ही महत्त्वपूर्ण स्पर्धाओं में भाग लेना भी है।
इस अवसर पर डीएवी पीजी कॉलेज की हिन्दी की प्रोफेसर राखी उपाध्याय को ’श्री रघुनाथ कीर्ति हिन्दी सेवा सम्मान-2023’ प्रदान किया गया। हिन्दी के क्षेत्र में श्रेष्ठ रचनाधर्मिता के लिए परिसर द्वारा यह पुरस्कार हर वर्ष हिन्दी पखवाड़े पर दिया जाता है। प्रो0 राखी उपाध्याय ने कहा कि श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर द्वारा इतना बड़ा सम्मान मिलना उनके लिए गौरव की बात है। हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम के संयोजक डॉ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल ने बताया कि कार्यक्रम के तहत विभिन्न वर्गों में आठ प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थीं तथा छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की रचनाओं पर ऑनलाइन व्याख्यान भी आयोजित किया गया। इस बार का हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम उत्तराखंड की दिवंगत विभूतियों-सुमित्रानंदन पंत, डॉ0 पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल तथा डॉ0 गोविंद चातक को समर्पित किया गया।
इस अवसर पर विभिन्न स्पर्धाओं में प्रथम रहे स्पर्धालुओं को पुरस्कार दिये गये। शोधार्थियों की हिन्दी सामान्य ज्ञान स्पर्धा में देवेद्र सारस्वत प्रथम, शुभम द्वितीय तथा चंडीप्रसाद और करुणकुमार तृतीय रहे। शास्त्री हिन्दी सामान्य ज्ञान में मधु प्रथम, राम शर्मा द्वितीय रहे। शास्त्री श्रुतलेख में मधु प्रथम, माधुरी द्वितीय तथा राम शर्मा तृतीय रहे।
कर्मचारियों की हिन्दी सामान्य ज्ञान स्पर्धा में स्वप्निल पांडेय प्रथम, अमित कुमार द्वितीय तथा सुखवीर तृतीय रहे। आचार्य-कर्मकांड वर्ग की भाषण प्रतियोगिता में गिरीशचंद्र भट्ट प्रथम रहे। प्राक्शास्त्री की श्रुतलेख स्पर्धा में रोहन ंडंगवाल प्रथम, सक्षम पंत द्वितीय तथा दुष्यंत भारद्वात तृतीय रहे। इन विजेताओं को पुरस्कार दिये गये। मोनिका नौगाईं ने गढ़वाली गीत की प्रस्तुति दी। अतिथि स्वागत मधु, धन्यवाद ज्ञापन नवीन उनियाल तथा संचालन नवीन उनियाल ने किया। इस अवसर पर प्रो0 चंद्रकला आर.कोंडी, डॉ0 शैलेन्द्रनारायण कोटियाल, डॉ0 ब्रह्मानंद मिश्रा, डॉ0 अमंद मिश्रा, डॉ0 मनीष शर्मा, डॉ0 आशुतोष तिवारी, डॉ0 दिनेशचन्द्र पाण्डेय, डॉ0सच्चिदानंद स्नेही, जनार्दन सुवेदी,डॉ0 सुरेश शर्मा आदि उपस्थित थे।