योग के मूल में वेद और संस्कृत अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यक्रम में बोले कुलपति प्रो0 वरखेड़ी
योग के मूल में वेद और संस्कृत
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यक्रम में बोले कुलपति प्रो0 वरखेड़ी
देवप्रयाग। योग संस्कृत और वैदिक मूल का ज्ञान है। तन-मन से स्वस्थ रहने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सभी योग को जीवन का अहम हिस्सा बनाएं और इसे अनिवार्य रूप से दिनचर्या में शामिल करें।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य योगाभ्यास कार्यक्रम में यह बात कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी ने कही। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग, उत्तराखंड में आयोजित विश्वविद्यालय के मुख्य योग कार्यक्रम में प्रो0 वरखेड़ी ने कहा कि योग को विश्वपटल पर प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है। न्यूयार्क टाइम्स में नरेंद्र मोदी पर एक समाचार छपा है। यह इस बात का प्रमाण है कि श्री मोदी कार्यकुशलता के मामले में विश्वभर में लोकप्रिय हो रहे हैं तथा भारत के वास्तविक ज्ञान वैभव को विश्व के सामने प्रभावी ढंग से रखने में सफल हुए हैं। श्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, लखनऊ समेत केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभी 13 परिसरों के हजारों विद्यार्थियों, अध्यापकों तथा कर्मचारियों को ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड में संबोधित करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को यह संकल्प दिलाया कि वे इस बात का प्रचार करेंगे कि योग का मूल संस्कृत तथा वेद हैं। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि आज हम पुनः विश्वगुरु की प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके हैं। इसके कारण भारत की ऋषि, शास्त्र और आचार्य परंपरा तथा योग जैसा विशिष्ट ज्ञान है।
उन्होंने छात्रों और अध्यापकों का आह्वान किया कि योग अपना कर अपना आत्मबल संरक्षित कर उसे अपनी प्रतिभा निखारने तथा अन्य लाभों को प्राप्त करने में लगायें। कार्यक्रम को योगविज्ञान के अधिष्ठाता प्रो0 बनमाली विश्वाल, जयपुर परिसर के निदेशक प्रो0 ंसुदेश शर्मा तथा प्रो0 जगन्नाथ झा ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने किया। संचालन डॉ0 दिनेशचन्द्र पाण्डेय तथा डॉ0 धनेश ने संयुक्त रूप से किया। इससे पहले छात्रों ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। सूर्योदय की इस मधुर वेला में गंगा तट पर आयोजित कार्यक्रम का विहंगम दृश्य हर किसी को आकर्षित करता था।
(जनसंपर्क अधिकारी श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग)