Tuesday, September 17, 2024
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अपराध कम करने में सहायक है योग, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में योग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

अपराध कम करने में सहायक है योग, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में योग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित योग सेमिनार में योग को आज की अपरिहार्य आवश्यकता बताया गया। कहा गया कि यह अपराध और हिंसा कम करने में सहायक है। मुख्य अतिथि पर्वतारोही और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की ब्रांड अम्बेसडर पद्मश्री संतोष यादव ने कहा कि संस्कृत के अध्ययन से मन में विराटता और चित्त में अकलुषितता आती है। संस्कृत हमें संस्कार सिखाती है,यह हमें सभ्य बनाती है। यह भाषा हमें भोजन और वस्त्र का विज्ञान सिखाती है। एवरेस्ट विजेता संतोष यादव ने कहा कि हमें अपनी आवश्यकताओं को न्यून करना चाहिए,ताकि पर्यावरण की रक्षा हो। उन्होंने कहा कि हम शास्त्र आधारित आचरण करेंगे तो तन और मन से स्वस्थ रहेंगे। यही हमारी संस्कृति और पूरे विश्व की आवश्यकता है। उन्होंने हमारे पारंपरिक वस्त्रों एवं भोजन अपनाने पर जोर दिया। विद्या की सफलता तभी है,जब वह दिमाग, जिह्वा,कंठ से उतरकर हृदय में उतर जाए। उन्होंने साबुन, प्लास्टिक इत्यादि का कम से कम प्रयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पेड़ काटने के जितने सख्त कानून हैं,उतने ही सख्त कानून पेड़ लगाने के लिए भी बनना चाहिए। उन्होंने बच्चों के साथ एवरेस्ट फतह में आयी कठिनाइयों को भी साझा किया।


केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के शैक्षिक मामलों के पूर्व अधिष्ठाता एवं वर्तमान में पुरी परिसर के निदेशक प्रो.बनमाली बिश्वाल ने बतौर विशिष्ट अतिथि शांति की स्थापना में योग के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि योग मानव कल्याण विश्व कल्याण में सहायक है। भारतीय शास्त्रों में इसकी महिमा वर्णित है।


केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित योग विषयक संगोष्ठी में लगभग 25 शोध-पत्र पढ़े गये। पत्र प्रस्तोताओं ने कहा कि हठ योग और राजयोग का घनिष्ठ संबंध है। ‘योगदर्शन के समग्र अर्थ : योग सूत्र और हठयोग प्रदीपिका के विशेष संदर्भ में ‘ शीर्षक वाली इस संगोष्ठी का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रकाशन विभाग के निदेशक प्रो.काशीनाथ न्योपाने ने किया। उन्होंने कहा कि योग का वास्तविक स्वरूप बरकरार रहना चाहिए। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की दर्शन विद्या शाखा के सह आचार्य डॉ.पवन व्यास थे तथा सारस्वत अतिथि साहित्य विद्या शाखा के संयोजक प्रो.विजयपाल शास्त्री थे।


अध्यक्षता निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने की। विशिष्ट व्याख्यान शृंखला में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की न्याय विभाग की आचार्य डॉ.कविता भट्ट तथा गढ़वाल विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग के सहायक आचार्य डॉ.दिनेश चन्द्र पाण्डेय आदि के व्याख्यान हुए। कार्यक्रम संयोजक डॉ.सच्चिदानंद स्नेही ने संगोष्ठी का प्रस्ताविक और विवरण प्रस्तुत किया। अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि योग शारीरिक और मानसिक रोगों के निवारण में भूमिका निभाता ही है, हमारी मेधा को भी प्रखर करता है। उन्होंने कहा कि योग रोजगार देने में भी अच्छी भूमिका में है। हमारे परिसर में योग विज्ञान में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कार्यक्रम का संचालन जनार्दन सुवेदी और डॉ मनीष शर्मा ने किया।
इस अवसर पर प्रो.चंद्रकला कोंडी, डॉ.ब्रह्मानंद मिश्र, डॉ सूर्यमणि भंडारी, डॉ वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, डॉ अनिल कुमार, डॉ अरविंद सिंह गौर, डॉ शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ शैलेंद्र नारायण कोटियाल, डॉ सुशील बडोनी, डॉ अवधेश बिजल्वांण, डॉ अमंद मिश्र, डॉ मनीषा आर्या,रजत गौतम क्षेत्री, डॉ धनेश पीवी, डॉ रश्मिता डॉ सुधांशु वर्मा आदि उपस्थित थे।

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