उत्तर भारत के खेल महाकुंभ का रंगारंग समापन,संस्कृत को आजीविका के साथ आनंद का विषय भी बनाएं: चौहान
उत्तर भारत के खेल महाकुंभ का रंगारंग समापन,संस्कृत को आजीविका के साथ आनंद का विषय भी बनाएं: चौहान
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की उत्तर क्षेत्रीय खेल और सांस्कृतिक स्पर्धाओं का आयोजन
डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल
देवप्रयाग। विभिन्न प्रदेशों के बच्चों की शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की उत्तर क्षेत्रीय खेल, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक स्पर्धाओं का समापन हो गया। पौड़ी में आयोजित युवा महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी आशीष चौहान ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए बच्चों का आह्वान किया कि वे इस भाषा को केवल आजीविका का साधन न बनाएं, अपितु इसे आनंद का विषय भी बनाएं। हमें संस्कृत को आधुनिकता के साथ जोड़ना होगा, क्योंकि भाषा का परिवर्तन के गहरा नाता होता है।
जिलाधिकारी श्री चौहान ने कहा कि शोधार्थी संस्कृत ग्रंथों की मौलिकता को स्पर्श करें, उसके मूल स्रोत तक पहुंचे तथा शोध में गंभीरता बरतें, यही आगे की पीढ़ी के लिए आप लोगों की सौगात होगी। हमारी पुरानी और आधुनिक पीढ़ी के बीच हुए संस्कृत शिक्षा के गैप को भी पाटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भाषा विचारों और भावों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, इसका प्रवाह और विकास समझना आवश्यक है। भाषा के विकास के लिए उसे बहुविकल्पीय बनाना जाना जरूरी होता है, यही संस्कृत के संदर्भ में भी होना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि सफलता किसी क्षेत्र विशेष में नहीं होती, बल्कि इसका संबंध व्यक्ति की रुचि, जागरूकता और परिश्रम पर निर्भर होता है। संस्कृत के बच्चों को इस देश ने इस भाषा का ध्वजवाहक बनाया है। वे इसे अपना सौभाग्य समझकर इस देववाणी में डूबकर अध्ययन करें और देश की अपेक्षाओं पर खरा उतरें।
विशिष्ट अतिथि जिला क्रीड़ाधिकारी संदीप डुकलान ने विजेता बच्चों को शुभकामनाएं देने के साथ शालीनता के साथ प्रतिभा प्रदर्शन के लिए बच्चों की सराहना की।
सारस्वत अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. पवन कुमार ने कहा कि युवा महोत्सव युवाओं के आनंद का उत्सव है। बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता है। यह अवसर न केवल प्रतिस्पर्धाओं में स्थान ग्रहण करने का होता है, बल्कि आनंद करने और प्रतिभा का प्रदर्शन करने का भी होता है। इस उत्सव में विश्वविद्यालय के हर व्यक्ति का योगदान होता है। कुछ का योगदान दिखायी देता है, कुछ का नहीं। स्वयंसेवी बच्चों के समर्पण की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के लिए मैट बिछाना, भोजन परोसना और आवास इत्यादि में सहयोग देना भी प्रतिभा का अहम हिस्सा होता है। इस यज्ञ में अध्यापकों और कर्मचारियों की आहुतियां भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं होतीं। अध्यापक पढ़ाने का मूल कार्य छोड़कर भोजन, यातायात और आवास की व्यवस्था में लग जाता है, यह वह छात्र हित में ही करता है। इस अवसर पर परिसर की पत्रिका देवभूमिसौरभम्
सारस्वत अतिथि भुवनेश्वरी संस्कृत विद्यालय पौड़ी के प्रधानाचार्य अनुसूया प्रसाद सुंदरियाल ने कहा कि पौड़ी में पहली बार इतने बड़े स्तर पर संस्कृत क्षेत्र के बच्चों की स्पर्धाएं होना, इस जनपद ही नहीं, उत्तराखंड के लिए भी गौरव की बात है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग के निदेशक प्रो. पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि हमने कम संसाधनों के बावजूद इस आयोजन को भव्य और सुविधाजनक बनाने का यथासंभव प्रयास किया है। निर्णयों में ईमानदारी और पारदर्शिता बरती गयी। जिला प्रशासन का सराहनीय सहयोग रहा। आयोजन में कुछ कमियां रही होंगी, परंतु प्रतिभागियों ने उन्हें व्यक्त नहीं किया। सभी प्रतिभागियों और बच्चों का व्यवहार शालीन रहा, यही संस्कृत क्षेत्र के संस्कार हैं। उन्होंने बच्चों का आह्वान किया जिस संस्कृत के नाम पर उन्हें प्रतिष्ठा, वृत्ति और अर्थोपार्जन होता, उसके प्रति गंभीरता से कार्य करें।
समापन कार्यक्रम का आकर्षण पौड़ी की सात वर्षीया बालिका स्वस्ति नौटियाल की संस्कृत में प्रस्तुतियां रहीं। स्वस्ति ने संस्कृत में सभी का अभिवादन और संबोधन किया तथा संस्कृत श्लोक और स्तोत्र प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की पत्रिका ’देवभूमिसौरभम्’ तथा परिसर के साहित्य विभाग की तीन पत्रिकाओं-साहित्य संवेदिनी, काव्यहेतु विमर्श तथा साहित्यशास्त्र परिचय का विमोचन भी किया गया। बाहर से आये प्रतिभागी बच्चों ने अपने अनुभव साझा किये। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अनिलकुमार ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। अतिथियों ने विजेता बच्चों को पदक और प्रमाण-पत्र प्रदान किये। अतिथियों का स्वागत परिसर की सहनिदेशक प्रो. चंद्रकला आर. कोंडी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूर्यमणि भंडारी ने किया। संचालन डॉ. धनेश पीवी, जनार्दन सुवेदी तथा कुशाग्र अत्री ने किया।
प्रतियोगिताओं में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के साथ ही रणवीर परिसर, (जम्मू) वेदव्यास परिसर, (हिमाचल), भगवानदास आदर्श महाविद्यालय, हरिद्वार, एसडी आदर्श महाविद्यालय हिमाचल, रानी पद्मावती तारा योगतंत्र आदर्श महाविद्यालय उत्तर प्रदेश, श्री दिवानकिशोर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरियाणा, श्री माता वैष्णोदेवी गुरुकुलम कटरा की टीमों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर डॉ0 ब्रह्मानंद मिश्र, डॉ. शैलेंद्रनारायण कोटियाल, डॉ0 शैलेंद्र प्रसाद उनियाल, डॉ0 सुशील प्रसाद बडोनी, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, डॉ0 सुरेश शर्मा, डॉ0 नितिन जैन, डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, वरुण कौशिक, पंकज कोटियाल, डॉ0 सोमेश बहुगुणा, डॉ0 मनीष शर्मा, डॉ0 अमंद मिश्र, डॉ0 अवधेश बिजल्वाण, अंकुर वत्स, रजत गौतम छेत्री, सुमिति सैनी, सुमन रावत, किशोरी राधे आदि उपस्थित थे।
प्रतियोगिताओं के परिणाम
चलवैजयंती रही वेदव्यास, हिमाचल के नाम
कंेद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की उत्तर क्षेत्रीय खेल, शैक्षिक और सांस्कृतिक स्पर्धाओं वैजयंती ट्रॉफी पर वेदव्यास परिसर, हिमाचल की टीम ने कब्जा किया। उसे सभी प्रतियोगिताओं में 9 स्वर्ण,12 रजत तथा 16 कांस्य पदक प्राप्त हुए। अनुवाद में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के कुशाग्र प्रथम, वेदव्यास के अभिषेक शर्मा द्वितीय तथा रणवीर परिसर, जम्मू के अजय शर्मा तृतीय रहे। संस्कृत वार्ता लेखन में श्री रघुनाथ कीर्ति के कुशाग्र प्रथम, श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार के मंदीप सिंह द्वितीय तथा सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, डोहगी की वंदना तृतीय रहीं। संगणकीय संस्कृत में वेदव्यास के अभिषेक शर्मा प्रथम, रणवीर के करुण द्वितीय तथा श्री भगवानदास के राधे गौनियाल तृतीय रहे। लघुचलचित्र में श्री माता वैष्णोदेवी गुरुकुल के सक्षम खजूरिया प्रथम, रणवीर के पारस द्वितीय तथा वेदव्यास के यशपाल तृतीय रहे। रंगोली में श्री दीवानकिशोर संस्कृत महाविद्यालय, अंबाला के यशदीप प्रथम, डोहगी की अंशिका चौहान द्वितीय तथा माता वैष्णो देवी के प्रदीपसिंह तृतीय रहे।
संमूह नृत्य में डोहगी प्रथम, रघुनाथ कीर्ति द्वितीय था श्री भगवानदास तृतीय रहा। योग बालिका में रघुनाथ की आरती प्रथम, वेदव्यास की कर्तिका द्वितीय तथा श्री भगवानदास की अंजलि तृतीय रही। योग बालक में रघुनाथ कीर्ति के चिराग प्रथम, वेदव्यास के अंशुल द्वितीय तथा जम्मू के रोहित और डोहगी के समीर तृतीय रहे।
100 मीटर दौड़ बालक में भगवानदास के आशीष प्रसाद प्रथम, रणवीर के अंकित शर्मा द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति के गिरीश चंद्र भट्ट तृतीय रहे। 200 मीटर दौड़ बालक में भगवानदास के आशीष प्रसाद प्रथम, रणवीर के अंकित द्वितीय तथा श्री दीवानकिशोर के गोल्डी तृतीय रहे। 400 मीटर दौड़ बालक में दीवान किशोर के गोल्डी प्रथम, रणवीर के सौरभ द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति के गौरव तृतीय रहे।
100 मीटर बालिका में वेदव्यास की वंशिका प्रथम, डोहगी की अंजू देवी द्वितीय तथा हिमाचल आदर्श संस्कृत महाविद्यालय जांगला की पल्लवी तृतीय रहीं। 200 मीटर बालिका में दीवान किशोर की गायत्री प्रथम, वेदव्यास की तनिषा द्वितीय तथा डोहगी की आंचल कुमारी तृतीय रही। 400 मीटर बालिका में दीवान किशोर की गायत्री प्रथम, वेदव्यास की मुस्कान द्वितीय तथा डोहगी की अंजू देवी तृतीय रहीं। 800 मीटर बालक में रणवीर के सौरभ शर्मा प्रथम, भगवान दास के नरेंद्र द्वितीय तथा डोहगी के प्रशांत ठाकुर तृतीय रहे। 1500 मीटर बालक में दीवान किशोर के गोल्डी प्रथम, वेदव्यास के आशीष ठाकुर द्वितीय तथा भगवानदास के नरेंद्र तृतीय रहे। बैडमिंटन एकल बालक में डोहगी के सुमित प्रथम, वेदव्यास के अरुण शर्मा द्वितीय, रणवीर के शुभम तृतीय रहे। बैडमिंटन युगल बालक में डोहगी के प्रशांत-अंशुल प्रथम, वेदव्यास के अरुण-सूर्यांश द्वितीय तथा रणवीर के अमित-शुभम तृतीय रहे। बैडमिंटन एक बालिका में डोहगी की वंशिका प्रथम, जांगला की समृद्धि द्वितीय तथा वेदव्यास की पल्लवी तृतीय रहीं। बैडमिंटन युगल बालिका में डोहगी की वंशिका-तमन्ना प्रथम, जांगला की पल्लवी-समृद्धि द्वितीय तथा वेदव्यास की पलक-अनीता तृतीय रहीं। कबड्डी में वेदव्यास प्रथम, रणवीर द्वितीय तथा जांगला तृतीय रहा। खो-खो में वेदव्यास प्रथम, डोहगी द्वितीय तथा जांगला तृतीय रहा। शतरंज में रघुनाथ कीर्ति के हार्दिक पांडेय प्रथम, रणवीर के अनिल शर्मा द्वितीय तथा वैष्णोदेवी के ऋषि प्रसाद तृतीय रहे। ऊंची कूद बालक में रणवीर के मिलन प्रथम, वेदव्यास के लवेश द्वितीय तथा रघुनाथ के रजत तृतीय रहे। ऊंची कूद बालिका में वेदव्यास की ईशा शर्मा प्रथम, डोहगी की आंचल शर्मा द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति की गौरी नवानी तृतीय रहीं।
लंबी कूद बालक में रघुनाथ कीर्ति के गिरीश चंद्र भट्ट प्रथम, डोहगी के धीरज भाटिया द्वितीय तथा रणवीर के राकेश तृतीय रहे। लंबी कूद बालिका में वेदव्यास की वंशिका प्रथम, डोहगी की अनुष्का शर्मा द्वितीय तथा रणवीर की प्रियंका तृतीय रहीं। चक्का फेंक बालक मंे रणवीर के निखिल शर्मा प्रथम, वेदव्यास के सूरज द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति के गिरीश चंद्र भट्ट तृतीय रहे। चक्का फेंक बालिका में वेदव्यास की तनिषा प्रथम, जांगला की अदिति द्वितीय तथा रणवीर की स्वर्णलता तृतीय रहीं। गोला फेंक बालक में रणवीर के निखिल शर्मा प्रथम, वेदव्यास के आदित्य पंडित द्वितीय तथा जांगला के अंकित तृतीय रहे। गोला फेंक बालिका में जांगला की अन्नु प्रथम डोहगी की तमन्ना द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति की गीतिका तृतीय रहीं।
57 किलोग्राम कुश्ती में रणवीर के हितेश प्रथम, रघुनाथ कीर्ति के मनीष द्वितीय तथा डोहगी के समीर और वेदव्यास के लोकेश शर्मा तृतीय रहे। 61 किलोग्राम कुश्ती में रणवीर के सुरक्षित प्रथम, रघुनाथ कीर्ति के सारथी द्वितीय तथा डोहगी के जतिन प्रथम और वेदव्यास के कुशदेव तृतीय रहे। 65 किलोग्राम कुश्ती में वेदव्यास के कुश प्रथम, रणवीर के गुलशन द्वितीय रहे तथा वैष्णोदेवी के लक्ष्य शर्मा और डोहगी के जतिन तृतीय रहे। 70 किलोग्राम मंे रघुनाथ कीर्ति के हर्षित परिहार प्रथम,रणवीर के करण द्वितीय तथा माता वैष्णो देवी के आयुष और वेदव्यास के लवेश तृतीय रहे। 74 किलोग्राम कुश्ती में रणवीर के विशाल परमार प्रथम, वेदव्यास के आदित्य द्वितीय तथा डोहगी गौरव शर्मा और माता वैष्णो देवी के वरदार शर्मा तृतीय रहे। बॉलीवाल में हरियाणा प्रथम, रणवीर द्वितीय तथा माता वैष्णो देवी की टीम तृती रही। संस्कृत व्लॉग निर्माण में रघुनाथ कीर्ति प्रथम, भगवान दास द्वितीय तथा माता वैष्णो देवी तृतीय रहा। एकल संस्कृत गीत में वेदव्यास प्रथम,डोहगी द्वितीय तथा रणवीर परिसर तृतीय रहा। समूहगान में माता वैष्णोदेवी प्रथम, वेदव्यास द्वितीय तथा रघुनाथ कीर्ति परिसर तृतीय रहा।