Wednesday, December 4, 2024
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संस्कृत और संस्कृति ने निखारी पौड़ी की रौनक, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का उत्तर क्षेत्रीय युवा महोत्सव 

संस्कृत और संस्कृति ने निखारी पौड़ी की रौनक, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का उत्तर क्षेत्रीय युवा महोत्सव 

डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल 

पौड़ी। नैसर्गिक सौंदर्य से युक्त पौड़ी की रौनक दो दिन निखरी-निखरी रही। यहां के रांसी स्टेडियम से लेकर प्रेक्षागृह में तक संस्कृत का बोलबाला रहा। संस्कृत के गीत, नृत्य और संगीत के मिश्रण ने पूरी नगरी को महका दिया। पांच राज्यों के छात्रों ने इस विकसित पहाड़ी शहर की गुनगुनी धूप में अपने हुनर को बखूबी प्रदर्शित किया।

गढ़वाल मंडल का मुख्यालय पौड़ी पहली बार केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के युवा महोत्सव का गवाह बना। तीन दिन तक चली विभिन्न खेल, शैक्षिक और सांस्कृतिक स्पर्धाओं का उद्घाटन देवप्रयाग स्थित श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में हुआ तो समापन पौड़ी में हुआ। इसका कारण यहां का रांसी स्टेडियम और विभिन्न सुविधायुक्त रांसी स्टेडियम रहा। पौड़ी में आयोजित इस विशाल खेल महाकुंभ में उत्तर भारत के विभिन्न भाषा भाषी बच्चे थे। वे या तो संस्कृत में वार्तालाप कर रहे थे अथवा हिंदी ,पंजाबी,हरियाणवी, हिमाचली, गढ़वाली,कुमाउनी में। इस प्रकार यह खेल का ही मेला नहीं था, बल्कि संस्कृत के सान्निध्य में हिंदी की उपभाषाओं का भी उत्सव रहा। एक विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसरों और महाविद्यालयों के बीच प्रतिभा प्रदर्शन और स्पर्धा की भावना से आयोजित किये जाने वाले इस आयोजन के अन्य दूरगामी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। छात्रों को एक दूसरे राज्य की संस्कृति और परंपराओं से भी रू-ब-रू होने का अवसर मिलता है। पौड़ी के नैसर्गिक सौंदर्य पर अभिभूत डोहगी,हिमाचल से आयी छात्रा वंदना का कहना था-”प्राकृतिक सौंदर्य के मामले में हिमाचल और उत्तराखंड लगभग समान हैं, परंतु दोनों में कुछ अंतर भी हैं। पहली बार इतनी ऊंचाई पर खेलने का मौका मिला है।”

आदर्श महाविद्यालय,डोहगी, हिमाचल से मार्गदर्शक के रूप में आये डॉ.योगेंद्र दीक्षित आयोजन व्यवस्थाओं पर गदगद दिखे। वे कहते हैं कि सैकड़ों बच्चों और अध्यापकों के लिए खेल,भोजन और आवास की उम्दा व्यवस्था करना आसान काम नहीं है और वह भी पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र में, परंतु श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर और पौड़ी प्रशासन ने इसके बावजूद बेहतर इंतजाम किए हैं। यह देवभूमि के आतिथ्य का बेहतर उदाहरण है।

जम्मू परिसर से आये मार्गदर्शक डॉ.योगेंद्र दीक्षित ने भी लगभग ऐसा ही अनुभव साझा किया।

बच्चों के बनाये ब्लाग्स को इन स्पर्धाओं में शामिल किये जाने के विश्वविद्यालय के निर्णय को सराहते हुए श्री भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ.वीके सिंहदेव ने बताया कि पौड़ी में ब्लाग बनाने से उनमें सौंदर्य में अभिवृद्धि हुई और बच्चों में इनके प्रति गहरी रुचि भी जागी है।

समुद्रतल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एशिया के सबसे ऊंचे रांसी स्टेडियम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उत्तराखंड, जम्मू, हरियाणा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश में स्थित परिसरों तथा आदर्श महाविद्यालयों की स्पर्धाएं संपन्न हुयीं। इनमें दौड़, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो इत्यादि शामिल थीं। सांस्कृतिक स्पर्धाओं के लिए पौड़ी जनपद मुख्याल स्थित प्रेक्षागृह मुफीद रहा। लगभग 50 मार्गदर्शकों की मौजूदगी में लगभग 450 प्रतिभागियों ने इस खेल महाकुंभ में हिस्सा लिया। सभी स्पर्धाएं जिला खेल विभाग की देख-रेख में संपन्न हुयीं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस स्टेडियम का नामकरण 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक महावीर चक्र विजेता शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह के नाम पर किया गया।

“हमने सीमित संसाधनों में प्रतिभागियों के लिए बेहतर करने का प्रयास किया। पौड़ी में इतना बड़ा आयोजन हमारी मजबूरी भी थी और पहला अनुभव भी। यह अनुभव अच्छा रहा। प्रशासन ने बड़ा सहयोग दिया। अब हम इससे भी बड़ा आयोजन कर सकते हैं। “-प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम, निदेशक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, पौड़ी

 

“वास्तव में यह बड़ा आयोजन था। काफी संख्या में बच्चे थे, परंतु सभी अनुशासित और संस्कारों से युक्त थे। सभी ने आनंद लेते हुए गंभीरता से स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। इतनी बड़ी संख्या में संस्कृत के बच्चों को खिलवाना मेरा पहला अनुभव था। रांसी स्टेडियम का बेहतरीन सदुपयोग हुआ है।”

-संदीप डुकलान, जिला क्रीड़ा अधिकारी, पौड़ी

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