उत्तराखण्ड में संस्कृत शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र होगा देवप्रयाग परिसर
उत्तराखण्ड में संस्कृत शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र होगा देवप्रयाग परिसर
केंद्रीय संस्कृत विवि के कुलपति प्रो0 वरखेड़ी ने किया देवप्रयाग का निरीक्षण
देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी ने विश्वविद्यालय के श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर का निरीक्षण कर अब तक हुए निर्माण कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने निर्माण एजेंसी केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के साथ बैठक कर तय समय पर कार्य पूरा करने के निर्देश दिये। वीसी ने कहा कि हम इस परिसर को उत्तराखण्ड में संस्कृत शिक्षा का सिरमौर बनाने जा रहे हैं।
वीसी प्रो0 वरखेड़ी ने देवप्रयाग परिसर के अकादमिक, प्रशासनिक भवनों, खेल मैदान, छात्रावास भवनों तथा आवासीय भवनों के निर्माण का निरीक्षण किया और निदेशक प्रो0 एम0 चन्द्रशेखर तथा अन्य अधिकारियों के साथ अनेक मसलों पर विमर्श किया। उन्होंने हर सुविधा का जायजा लिया तथा सीपीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों से कहा कि परिसर में छात्रों प्राध्यापकों और कर्मचारियों की सुविधाओं के अनुसार निर्माण किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारी संकल्पना इस परिसर को उत्तराखण्ड के सर्वश्रेष्ठ संस्कृत शिक्षा केन्द्र के रूप में अस्तित्व में लाना है। यहां पर्यावरण एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखा जाएगा। परिसर को हरा-भरा बनाने के साथ ही विभिन्न औषधीय पौधे और फलदार वृक्ष भी यहां लगाए जाएंगे। इस परिसर पर विश्वविद्यालय का विशेष ध्यान है। परिसर में निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है, अब फिनिशिंग कार्य चल रहा है और कुछ खामियां दूर की जा रही हैं। जल्द ही यह परिसर पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ जाएगा। यह परिसर उत्तराखण्ड से शिक्षा और रोजगार के लिए होने वाले पलायन पर काफी हद तक रोक लगाने में सफल हो सकेगा। उन्होंने कहा कि परिसर संस्कृत तथा योग शिक्षा के लिए अनेक संस्थाओं के साथ गठबंधन करेगा।
प्रो0 वरखेड़ी ने उपजिलाधिकारी से भी परिसर की उन्नति इत्यादि के संबंध में एसडीएम अजयवीरसिंह के साथ भी विमर्श किया। परिसर के छात्रों ने कुलपति के समक्ष अनेक समस्याएं रखीं, वीसी ने उनके त्वरित निस्तारण का आश्वासन दिया। उन्होंने सभी विषयों के प्राध्यापकों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए परिसर के विकास तथा छात्र हित में कठिन परिश्रम करने का आह्वान किया। वीसी ने कहा कि हमने नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया है। पहले कुछ कठिनाइयां हो सकती हैं, लेकिन एक-दो साल बाद सब व्यवस्थित हो जाएगा।
इस अवसर पर पंचतत्त्व संस्था के संस्थापक-निदेशक तथा प्रसिद्ध वास्तुविद् एवं ज्योतिषाचार्य श्री गुरुजी मनोज जुयाल, स्वामी हरेकृष्ण तथा राकेश नैथानी इत्यादि उस्थित रहे।