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उत्तराखंड की रहने वाली थी पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री की पत्नी, जानिए इतिहास

कई इतिहास ऐसे हैं जो अपने आप में कई कहानियां बयां करते हैं। पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी, उत्तराखंड की युवती बनी थी। शायद इतिहासकारों ने कभी इस को महत्व नहीं दिया और यही वजह है कि आज आम लोगों को इसकी जानकारी ज्यादा नहीं है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली आईरीन पंत ने पाकिस्तान स्थापना के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। वह पाकिस्तान की फर्स्ट लेडी बनी थी। अल्मोड़ा की इस युवती ने पाकिस्तान के विकास से लेकर वहां की महिला सुधार के लिए महत्वपूर्ण काम भी किया। पाकिस्तान का सबसे सर्वोच्च सम्मान nishan-e-pakistan भी आईरीन पंत को मिला है।

अब जानिए आख़िर किस्सा क्या था

पढ़ने सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है कि कुमाऊं की युवती ने पाकिस्तान की स्थापना में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई। आईरीन का जन्म 1905 में उत्तराखंड के 1 जिले अल्मोड़ा के पंत परिवार में हुआ था उनके पिता डेनियल पंत यूपी सचिवालय में काम करते थे। उनके दादा तारा दत्त पंत ने धर्म परिवर्तन कर क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था। जानकार यह भी बताते हैं कि अल्मोड़ा में लोग इस बात से बेहद खफा हुए और उनके परिवार का सामाजिक रूप से बहिष्कार कर दिया। आईरीन पंत शुरू से ही बेहद प्रतिभाशाली थी लियाकत अली से विवाह के बाद उन्होंने  पाकिस्तान की स्थापना के आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई। इससे पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी वे पूरी लगन से सक्रिय रहीं थीं। इसी दौरान उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लियाकत अली का उत्तेजक भाषण सुना जो तब मुजफ्फरनगर क्षेत्र से विधायक थे। तभी वो लियाकत अली के प्रति आकर्षित हुई थी। दोनों की मुलाकातें होती रही और सन् 1933 में दोनों ने विवाह कर लिया। लियाकत के प्रधानमंत्री बनने पर उन्हें पाकिस्तान की प्रथम महिला के साथ ही लियाकत मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक और महिला मामलों की मंत्री का दर्जा भी मिला।

जानकार ये भी बताते हैं कि आईरीन पंत भले ही बचपन में ही कुमाऊं से चली गई थीं लेकिन वो अपनी मिट्टी को याद करती थी। खास कुमाऊंनी स्वाद गहत की दाल और दाड़िम की चटनी उनकी पसंद थी। एक पुस्तक इसकाउल्लेख करते हुए कहा है कि उन्होंने अपने भाई को टेलीग्राम से जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए ‘आई मिस कुमाऊं’  लिखा था।

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