संस्कृत पढ़ने का फल, पढ़ाई के दौरान ही मिली नौकरी केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के दो छात्रों का प्लेसमेंट
संस्कृत पढ़ने का फल, पढ़ाई के दौरान ही मिली नौकरी
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के दो छात्रों का प्लेसमेंट
देवप्रयाग। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर, देवप्रयाग संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार के श्रेष्ठ केंद्र के रूप में तो पहचान बना ही रहा है, यह परिसर रोजगार उपलब्ध करवाने में भी कारगर सिद्ध हो रहा है। परिसर के अनेक छात्र अभी तक शिक्षण इत्यादि के क्षेत्र में रोजगार हासिल कर चुके हैं। स्थानीय स्तर पर भी अनेक युवक-युवतियों को परिसर में नौकरी मिल चुकी है, परंतु सबसे बड़ी बात यह है कि परिसर अपने ही छात्रों को भी परिसर में रोजगार मुहैया करवा रहा है। हाल ही मंे दो छात्रों का चयन यहां एक परियोजना के लिए हुआ है। इसी परिसर से अध्ययन कर रहे ये छात्र पढ़ाई के दौरान ही रोजगार मिलने से प्रसन्न हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने संस्कृत और हमारे शास्त्रों की रक्षा, प्रचार-प्रसार इत्यादि के उद्देश्य से अष्टादशी परियोजना आरंभ की है। अलग-अलग विभागों के प्राध्यापकों के आवेदन पर विभिन्न परियोजनाएं स्वीकृत की गयी हैं। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के लिए साहित्य और न्याय विभाग की दो परियोजनाएं स्वीकृत हुई थीं। इनमें प्राध्यापकों की सहायता के लिए दो परियोजना सहायकों के पद भी स्वीकृत हुए हैं। इन पदों के लिए परिसर ने हाल ही मंे विज्ञप्ति निकाली। इंटरव्यू में दो छात्रों अश्विनी कुमार और शुभम भट्ट का चयन किया गया। अश्विनी यहीं से पीएचडी कर रहे हैं तथा शुभम आचार्य करने के बाद कर्मकांड में डिप्लोमा कर रहे हैं। इन दोनों छात्रों ने बताया कि पढ़ाई करते ही परिसर में ही वृत्ति प्राप्त होने से वे बहुत प्रसन्न हैं। अब खर्च के लिए परिजनों पर निर्भरता समाप्त हो गयी है।
इस संबंध में निदेशक प्रो0पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि संस्कृत के क्षेत्र में रोजगार की कमी नहीं है। भारत सरकार संस्कृत के क्षेत्र में बहुत नौकरियां दे रही है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने संस्कृत को लेकर अनेक परियोजनाएं शुरू की हैं। भविष्य में हमारे परिसर के लिए अन्य योजनाओं के भी स्वीकृत होने की संभावना है। संस्कृत के क्षेत्र में परिश्रम कर आगे बढ़ने वाले छात्रों के लिए नौकरियों के बहुत सारे विकल्प हैं। पहली बार परिसर में ही दो छात्रों का प्लेसमेंट होना हमारी बड़ी उपलब्धि है। इससे छोटी कक्षाओं के छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी।
कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी का कहना है कि संस्कृत को रोजगार से जोड़ने के कारण हमारी युवा पीढ़ी संस्कृत के प्रति आकर्षित होगी। इससे संस्कृत का प्रचार-प्रसार और संरक्षण व्यापक स्तर पर हो सकेगा। हमारे विश्वविद्यालय के विभिन्न अभियानों के बाद देश के लोगों खासकर बच्चों और युवाओं का संस्कृत के प्रति झुकाव बढ़ा है। हमारा उद्देश्य संस्कृत को बढा़वा देने के लिए उसे जॉब ओरिएंटेड बनाना है।