Friday, January 17, 2025
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देवप्रयाग के रामकुंड में भी होगी गंगा आरती, संस्कृत विश्वविद्यालय की अभिनव पहल

देवप्रयाग के रामकुंड में भी होगी गंगा आरती, संस्कृत विश्वविद्यालय की अभिनव पहल

देवप्रयाग_

प्रत्येक शुक्रवार को विद्यार्थी करेंगे आरती,भव्य शुभारंभ

उत्तराखंड में तीर्थाटन और पर्यटन को बढा़वा मिलेगा : प्रो.वरखेडी़

डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल

देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के साथ ही संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए भी आगे आ रहा है। इस पहल के अंतर्गत विश्वविद्यालय के श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर ने देवप्रयाग में रामकुंड पर गंगा आरती की शुरुआत की है। अब प्रत्येक शुक्रवार को यहाँ पर गंगा आरती की जाएगी।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा पौडी़ जिला प्रशासन की पहल पर शुक्रवार शाम को रामकुंड घाट पर पूजा-अर्चना के बाद गंगा आरती का शुभारंभ किया गया।

जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार। नायब तहसीलदार हरेंद्र खत्री,नगरपालिकाध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल, विनोद कोटियाल , श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक एम.चंद्रशेखर ने भारी संख्या में छात्रों तथा प्राध्यापकों की उपस्थिति में गंगा आरती कार्यक्रम का उद्घाटन किया। ढोल-दमाऊं की थाप के साथ छात्रों ने इस अवसर पर वेदपाठ किया। गंगा किनारे बडी़ संख्या में दीप प्रज्वलित किए जाने से रामकुंड घाट जगमगा उठा। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी किया गया। विशिष्ट अतिथि विनोद कोटियाल ने कहा कि सौ वर्ष से भी अधिक समय पूर्व की देवप्रयाग के विद्वानों की भविष्यवाणी सच साबित हुयी कि यहाँ संस्कृत का विशाल विश्वविद्यालय बन गया है। यह संस्थान उत्तराखंड का गौरव है।
नगरपालिकाध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने जिला प्रशासन से मांग की पुल बंद होने से उत्पन्न विद्यार्थियों के आवागमन की समस्या का त्वरित समाधान किया जाए। निदेशक प्रो.एम.चंद्रशेखर ने कहा कि भगवान् श्रीराम की स्मृति से जुडे़ रामकुंड के पास गंगा आरती की पहल सराहनीय है। इस आध्यात्मिक और पवित्र स्थल पर यह कार्य परम आवश्यक था।
कार्यक्रम का संचालनकार्यक्रम में ऑनलाइन जुडे़ कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेडी़ ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय देवप्रयाग समेत समूचे उत्तराखंड में राज्य सरकार, पर्यटन विभाग एवं प्रशासन के सहयोग एवं मार्गदर्शन में संस्कृति के संरक्षण संबंधी ऐसे अनेक कार्यक्रम आयोजित करेगा। इससे भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार होगा तथा राज्य में पर्यटन तथा तीर्थाटन को बढा़वा मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ.शैलेन्द्रप्रसाद उनियाल ने किया। इस अवसर पर डॉ.सच्चिदानन्द स्नेही,डॉ.अनिलकुमार,नवीन डोबरियाल,डॉ.वीरेंद्रसिंह बर्त्वाल,डॉ.सुरेश शर्मा,डॉ.सुधांशु वर्मा,डॉ.अंकुर वत्स,पंकज कोटियाल,संपूर्णानंद नौटियाल,रघु बी.राज,डॉ.अमंद मिश्र,जनार्दन सुवेदी,डॉ.आशुतोष नौटियाल,अजयसिंह नेगी,स्वप्निल पांडेय,मनीष कंडारी,अनिलसिंह रावत आदि उपस्थित थे।

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