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भावों की अभिव्यक्ति में शब्दों की अहम भूमिका, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में राज्यस्तरीय संस्कृत स्पर्धाओं का आयोजन

भावों की अभिव्यक्ति में शब्दों की अहम भूमिका, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में राज्यस्तरीय संस्कृत स्पर्धाओं का आयोजन

देवप्रयाग। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित राज्यस्तरीय संस्कृत स्पर्धाओं में संस्कृत की शास्त्र परंपरा का महत्त्व बताया गया। वक्ताओं ने कहा कि शब्दों की महिमा अनंत है। भाव अभिव्यक्ति के लिए शब्द महत्त्वपूर्ण हैं। एक ही शब्द की लय बदल जाने पर उसके अर्थ भी बदल जाते हैं। ठेठ गांवों के लोगों की भाषाओं में साहित्य की आत्मा बसती है। मन की निर्मलता भारतीय ज्ञान और विद्या के मूल में है।

दो दिवसीय स्पर्धाओं के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता सूर्यनारायण बाबुलकर थे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर का गंगा के किनारे पुरोहितों की नगरी में होना स्वयं में महत्त्वपूर्ण है। इस नगरी में पहले संस्कृत की अनौपचारिक शिक्षा दी जाती थी। यहां का अधिकांश जन पौरोहित्य कार्य से जुड़ा है, इसलिए यहां के लोग संस्कृत शिक्षा का मूल्य भली भांति जानते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो0 विजयपाल शास्त्री ने कहा कि स्पर्धाओं में भाग लेकर ज्ञान की अभिवृद्धि होती है। उन्नति के लिए स्वस्थ स्पर्धा का होना आवश्यक है। स्पर्धा कभी फल के लिए नहीं होती है। वास्तविक विद्या चित्त को शुद्ध और निर्मल बनाती है। अभ्यास से ज्ञान बढ़ता है। सारस्वत अतिथि प्रो0 मनोज मिश्र ने कहा कि विद्या ग्रहण करने का अर्थ शास्त्रों को कंठस्थ करना ही नहीं, अपितु अर्जित किये गये ज्ञान के अनुसार आचरण करना है। विद्या का प्रतिबिम्बन आचरण में दिखायी देना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान बनने से पहले अस्तित्व में रहे श्री रघुनाथ कीर्ति आदर्श महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रकाशनारायण बाबुलकर ने भी विचार व्यक्त किये। संयोजक डाॅ0 शैलेंद्र नारायण कोटियाल ने स्पर्धाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इन स्पर्धाओं के अंतर्गत आयोजित 34 प्रतियोगिताओं में उत्तराखंड के शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। सभी का उद्देश्य होना चाहिए कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी सभी स्पर्धाओं में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व हो। समापन समारोह में श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय विद्यालय के साहित्याचार्य डाॅ0 निरंजन मिश्र ने कहा कि शब्दों के अनेक अर्थ निकलते हैं। उनका अर्थ वक्ता की भावभंगिमा और लय के आधार पर तय होता है। शब्दों के अर्थ परिस्थिति और प्रसंग के अनुसार बदल भी जाते हैं। समापन कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि प्रो0 मनोज मिश्र थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने की। निर्णायकों में प्रो0 विजयपाल शास्त्री, डाॅ0 राजकुमार मिश्र, डाॅ0 रतनलाल, डाॅ0 प्रतिज्ञा तथा डाॅ0 के0 मनुज्ञा शामिल थीं। कार्यक्रम का संचालन जनार्दन सुवेदी तथा डाॅ0 दीपक कोठारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 शैलेंद्र नारायण कोटियाल ने किया। अतिथियों ने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सह संयोजक डाॅ0 सोमेश बहुगुणा, प्रो0 चंद्रकला कोंडी, डाॅ0 गणेश्वरनाथ झा, डाॅ0 ब्रह्मानंद मिश्र, डाॅ0 वीरेंद्र सिंह बत्र्वाल, डाॅ0 अनिल कुमार, डाॅ0 सुरेश शर्मा, अंकुर वत्स, डाॅ0 श्रीओम शर्मा, डाॅ0 सुमिति सैनी, डाॅ0 सुमन रावत, पायल पाठक, डाॅ0 दीपक पालीवाल, डाॅ0 सुशील प्रसाद बडोनी आदि उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के छात्र गिरीश चंद्र भट्ट और कुशाग्र अत्री ने शब्द शक्ति पर शास्त्रार्थ भी किया।

 

समस्या पूर्ति स्पर्धा में दीपकचंद्र ने बाजी मारी

प्रतियोगिताओं में समस्या पूर्ति स्पर्धा में दीपक चंद्र पाण्डेय प्रथम रहे। पुराणेतिहास शलाका में पतंजलि गुरुकुल हरिद्वान की निधि प्रथम रही। व्याकरण भाषण में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की दीपांक्षा प्रथम, वेदभाष्य भाषणा में यहीं के मोहित शर्मा प्रथम, काव्य शलाका में मल्लिका प्रथम, वेदांत भाषण में श्री भगवान आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार के मंदीप सिंह प्रथम, श्रीमद्भगवत गीता कंठपाठ में पतंजलि गुरुकुलम् मुल्या गांव की अनुष्का प्रथम, अमरकोश कंठपाठ में गुरुकुल पौंधा, देहरादून के सक्षम प्रथम, धातुरूप कंठ पाठ में पतंजलि गुरुकुलम मुल्या गांव की हर्षिता, ज्योतिष शलाका में श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की मोनिका प्रथम, साहित्यभाषण में भगवानदास के दीपक पांडेय, सांख्य योग भाषण में श्री रघुनाथ कीर्ति के पीके कृष्णन, धर्मशास्त्र भाषण में अरुण कुमार, आयुर्वेद भाषण में देवदर्शन, जैन-बौद्ध दर्शन भाषण में लोकेश,सुभाषित कंठ पाठ में अनुष्का,उपनिषद कंठ पाठ में माही,काव्य कंठ पाठ में इशिता, शास्त्रीय स्फूर्ति स्पर्धा में गौतम गण, रामायण कंठ पाठ में नंदिनी पीजी तथा अक्षरश्लोकी में गुरुकुल पौंधा के ऋतेश प्रथम रहे।

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