Monday, January 20, 2025
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रघुनाथ कीर्ति परिसर का उद्घाटन करेंगे मोदी और धामी

रघुनाथ कीर्ति परिसर का उद्घाटन करेंगे मोदी और धामी

हिमालय प्रान्त के उत्तराखण्ड परम्परागत विद्याओं के लिये अनादि काले से प्रसिद्ध है। वेद और ज्योतिष व्याकरण आदि वेदाङ्गों के प्रचार प्रसार में तथा उनके सम्पोषण में उत्तराखण्ड वासियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। इन विद्याओं को आम जनता तक ले जाने की दृष्टि से 1908 में एक महाविद्यालय की स्थापना देवप्रयाग स्थित नृसिंहाचल पर हुई थी। इस पाठशाला में अध्ययन-अध्यापन करने वाले विद्वज्जन बाद के समय में लाहौर, इलाहाबाद, आगरा , काशी जैसे स्थानों में प्रवास कर अध्यापन कार्य किये।

इस स्थान की परम्परा को, शास्त्रों को तथा इसकी लोकोपयोगिता को और सदृढ करने की दृष्टि से सन 2016 में भारत सरकार ने 108 साल पुराने श्री रघुनाथ कीर्ति महाविद्यालय को अधिग्रहण किया जो आज केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अभिन्न परिसर (श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर) के रूप में कार्य कर रहा है। इस परिसर में छात्रों के सर्वतोमुख विकास के लिये भारत सरकार ने 126 करोड रुपये की लागत से 8 छात्रावास , एक प्राशासनिक भवन, दो शैक्षिक भवन, एक अतिथि भवन का निर्माण कराया। इन सुविधाओं के बल पर आज इस परिसर में उत्तराखण्ड के किसी संस्कृत महाविद्यालय व विश्वविद्यालय से अधिक छात्र हैं।
इस परिसर का लोकार्पण माननीय प्रधानमन्त्री जी श्री नरेन्द्र मोदी जी के करकमलों से 20 फरवरी को होना निश्चित हुआ है। इस कार्यक्रम के दौरान परिसर में प्रदेश के महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमन्त्री सहित गणमान्य लोगों की उपस्थित होने की सम्भावना है। परम्परागत विद्याओं के साथ-साथ प्रदेश की गरिमा को देश के कोने-कोने तक ले जाने वाले इस क्षण के लिये सभी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस परिसर में नियमित अध्ययन के साथ साथ प्रधानमन्त्री कौशल विकास केन्द्र , विश्व योग केन्द्र, वेदशास्त्रानुसन्धानुकेन्द्र आदि है जो उच्चतम शिक्षा तथा रोगजार परक शिक्षा को प्रदान करने के लिये कटिबद्ध है।

परिसर के निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि उक्त कार्यक्रम के दृष्टिगत परिसर प्रशासन ने अपनी तैयारियां आरंभ कर दी हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी तथा मुख्यमंत्री जी द्वारा इस परिसर का उद्घाटन किया जाना संस्कृत जगत तथा उत्तराखंड के गौरव की बात है। उत्तम शैक्षिक वातावरण तथा सुविधाओं के कारण यह परिसर उत्तराखंड का सिरमौर बनने की ओर अग्रसर है।

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