सामान की तरह ढोये जाते हैं मरीज, विधायक के गांव के निकटवर्ती गांव में सड़क नहीं
सामान की तरह ढोये जाते हैं मरीज, विधायक के गांव के निकटवर्ती गांव में सड़क नहीं
देहरादून। विधायक के गांव के निकट वाला गांव सड़क से छह किलोमीटर दूर! बहुत से लोगों को इस बात पर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन यह सच है।
बात टिहरी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग क्षेत्र के कीर्तिनगर ब्लॉक के गांव-टोला की हो रही है। इस गांव के लोग उत्तराखण्ड बनने के 22 साल बाद भी सामान ही नहीं, मरीजों और घायलों को भी पीठ पर ढोते हैं। खास बात यह है कि यह गांव विधायक विनोद कंडारी के गांव जाख से मात्र पांच किलोमीटर दूर है। इस गांव के लिए लगभग छह साल पहले त्रिवेन्द्रसिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में दो सड़कें स्वीकृत हुई थीं। एक डागर को लोस्तु-बडियारगढ़ से जोड़ने के लिए गंडराखाल-टोला ग्वाड़ सड़क तथा दूसरी राडागाड-टोला सड़क। गंडराखाल-टोला ग्वाड़ मार्ग का केवल सर्वे ही हुआ। उसका अभी तक अता-पता नहीं, लेकिन राडागाड-टोला सड़क निर्माण की लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। पिछले साल विभाग ने इसके टेंडर निकाले गए थे, परंतु जब कई महीनों तक भी काम शुरू नहीं हुआ तो लोगों ने विभाग से इस संबंध में जानकारी हासिल की। पता चला कि वे टेंडर प्रत्याशा में लगाए गए थे, क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक थे। अब चुनाव को बीते लंबा समय होने के बाद भी सड़क का कार्य आरंभ नहीं हो पाया है। लोग छह किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं। हाल ही में यहां एक महिला रात को गिरकर घायल हो गयी थी। ग्वाड़, टोला और राडागाड के लोगों के सहारे उसे टॉर्च की रोशनी में कुर्सी में बैठाकर राडा गांव तक सड़क में लाया गया। घायल और बीमार लोगों को समय पर उपचार न मिल पाने के कारण इससे पहले अनेक लोग असमय ही काल के ग्रास बन चुके हैं।
सड़क न बनने से इस गांव से लगातार पलायन हो रहा है। गांव में चौलाई, राजमा, नीबू, सब्जियां होती हैं, लेकिन इन उत्पादों को सड़क् तक पहुंचाने की बड़ी समस्या है। इसलिए कोई इस कार्य को नहीं करना चाहता। गांव में चिकित्सा सुविधा नहीं के बराबर है। लोगों को सिरदर्द जैसी मामलू दवा के लिए भी दस किलोमीटर दूर बैंज्वाड़ी स्थित प्राथमिक चिकित्सालय में जाना पड़ता है। राडागाड-टोला की प्रस्तावित सड़क के संबंध में गांव के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत की तो वहां से जवाब मिला कि मामला वित के कारण अटका हुआ है। उधर, विधायक विनोद कंडारी इस संबंध में बताते हैं कि दो बार रेट रिवाइज होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। यह कार्य पूरा होते ही सड़क निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। पैसा न होने की कोई बाधा नहीं है। गौरतलब है कि विगत विधानसभा चुनाव में विधायक विनोद कंडारी स्वयं वोट मांगने दुर्गम टोला गांव में गए थे और लोगों से दूसरे कार्यकाल में तुरंत सड़क का निर्माण कार्य शुरू करने का वादा किया था, लेकिन अब इंतजार अधिक होने के कारण लोगों को यह वादा झूठा दिखायी देने लगा है।
राडागाड के ग्रामीण विजय सिंह बर्त्वाल बताते हैं कि सरकार एक ओर गांवों के विकास पर फोकस कर रही है, लेकिन दूरस्थ गांवों की सुध नहीं लेने से लगता है कि सरकार इस मंशा में खोट है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड बनने के इतने साल बात भी टोला गांव का सड़क से न जुड़ पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
गांव के राजेद्र सिंह पुण्डीर का कहना है कि सड़क न होने से गांव के लोग अपने रिश्तेदारों के बड़े हिस्से से कटे हुए हैं। गांव के लड़कों से रिश्ते के लिए अन्य गांवों की लड़कियां तैयार नहीं हो पाती हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार को इस ज्वलंत समस्या पर शीघ्र ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि गांव के अनेक युवकों ने मुख्यमंत्री और लोकनिर्माण मंत्री को इस संबंध में ट्वीट कर शिकायत भी की है।