संस्कृत वालों ने हरकी पैड़ी पर रचा इतिहास, देश के कोने-कोने से आये संस्कृतज्ञों ने किया एक साथ मंत्रोच्चारण
संस्कृत वालों ने हरकी पैड़ी पर रचा इतिहास, देश के कोने-कोने से आये संस्कृतज्ञों ने किया एक साथ मंत्रोच्चारण
डॉ0 वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल
हरिद्वार। हरकी पैड़ी का वातावरण बृहस्पतिवार को कुछ अधिक ही भव्य और दिव्य हो गया। यहां लगभ 800 संस्कृत विद्वानों और छात्रों ने मंत्र पाठ किया। विभिन्न वेद मंत्रों से गंगा तट गुंजायमान हो गया। गंगा की लहरें मानों मंत्रों की पवित्र ध्वनियों पर नृत्य कर रही थीं। मंत्रपाठ करने वाले ये विद्वान और छात्र देश के कोने-कोने तथा नेपाल से भी आये थे। इसे सनातन का महाघोष नाम दिया गया। आयोजकों का कहना है कि गंगा किनारे इतनी अधिक संख्या में लोगों के एक साथ आरती, मंत्रोच्चारण और गंगा स्नान का यह विश्वरिकॉर्ड है। इस आयोजन के मुख्य वक्ताओं स्वामी रामदेव, प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दो विश्वविद्यालयों का यह आयोजन ऐतिहासिक है।
इन दिनों पतंजलि विश्वविद्यालय में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के तत्वावधान में अखिल भारतीय स्तर की संस्कृत शास्त्रीय र्स्प्धाएं आयोजित की जा रही हैं। इनमें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के 12 परिसरों के साथ ही उससे मान्यताप्राप्त विभिन्न आदर्श संस्कृत महाविद्यालयों तथा अन्य संस्कृत शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। ये छात्र राज्य स्तर की स्पर्धाओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके हैं। इनकी स्पर्धाओं की प्रतिभा के मूल्यांकन के लिए नेपाल समेत देश के विभिन्न राज्यों से संस्कृत के प्रकांड विद्वान तथा मार्गदर्शक आये हुए हैं। बुधवार को पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने इन सभी विद्वानों को सम्मानित कर बृहस्पतिवार को गंगा आरती और गंगा स्नान करवाने की घोषणा की थी।
आज पतंजलि से एक दर्जन से अधिक बसों में लगभग 700 छात्र तथा विद्वान हरकी पैड़ी पर पहुंचे। वहां विद्वानों और छात्रों ने विभिन्न मंत्रों का पाठ किया। इस विभिन्न रंगों के गणवेशों में आए विद्यार्थियों ने हरकी पैड़ी के वातावरण को रंगीन बना दिया। दो देशों के संस्कृत विद्वानों और छात्रों का इतना बड़ा जमावड़ा पहले कभी नहीं हुआ है। इसके लिए गंगा सभा ने विशेष व्यवस्था की थी। इस मौके पर छात्रों और संस्कृत विद्वानों को संबोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि छात्र शास्त्रों का जीवन में सही अनुपालन करें, इसी में अपना और विश्व का कल्याण है। दुनिया के आसन संकटों का समाधान संस्कृतज्ञ ही कर सकते हैं। संस्कृत एक पक्षीय नहीं, संपूर्ण और सर्वांगीण भाषा है। उन्होंने कहा कि मां गंगा के तट पर इतनी अधिक संख्या में विद्वानों द्वारा शांति और गंभीरता के साथ विभिन्न मंत्रों का एक साथ पाठ किया जाना अद्भुत ही नहीं, विश्व रिकॉर्ड भी है। पतंजलि विश्वविद्यालय प्राचीन ज्ञान के प्रचार और विद्वानों की सेवा में तत्पर है। उन्होंने छात्रों से कहा कि मन पर नियंत्रण रखने से आप सफलता के बहुत निकट पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय हरकी पैड़ी कॉरीडोर में यथासंभव सहायता करेगा।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि दो बड़े विश्वविद्यालयों का यह बड़ा आयोजन सनातन धर्म के लिहाज से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। पतंजलि विश्वविद्यालय ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को इस पुनीत कार्य में सहयोग दिया है। पतंजलि विश्वविद्यालय का अस्तित्व और ख्याति स्वामी रामदेव की इंद्रिय विजय का परिणाम है।
गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों ने गंगा तट पर इतना बड़ा आयोजन कर हमें धन्य कर दिया है। इस अवसर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण, संकाय अध्यक्ष प्रो0 साध्वी देवप्रिया, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 दिनेश शास्त्री आदि उपस्थित रहे। मंत्र पाठ के बाद छात्रों ने गंगा स्नान किया।