Friday, January 17, 2025
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इक्कीस दिन में ज्योतिषी बन जाएंगे छात्र, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर में 21 दिवसीय कुण्डली निर्माण कार्यशाला

इक्कीस दिन में ज्योतिषी बन जाएंगे छात्र, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर में 21 दिवसीय कुण्डली निर्माण कार्यशाला

देवप्रयाग। सुविधाएं और लगन ज्ञान की वृद्धि में सहायक बनती हैं। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के अनेक छात्र इन दिनों ज्योतिषी बनने की ओर अग्रसर हैं। 21 दिवसीय कार्यशाला में वे कुण्डली निर्माण करना सीख रहे हैं। पंचांग में तिथियां कैसे देखनी हैं तथा पंचांग देखकर मुहूर्त का निर्धारण कैसे करना है, इसकी भी शिक्षा उन्हें दी जा रही है। घटी-पल को घण्टा-मिनट में कैसे परिवर्तित करना है, यह भी उन्हें सिखाया जा रहा है। उन्हें ज्योतिष के मूल तथ्यों से अवगत कराया जा रहा है।
श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के ज्योतिष विभाग ने 21 दिवसीय कुण्डली निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने इस वर्ष को विश्वविद्यालय का ’शिक्षा गुणोत्कर्ष वर्ष’ घोषित किया है। यह कार्यक्रम इसी का हिस्सा है। ज्योतिष लोकोपकार शास्त्र है जो समाज का पग-पग पर दिग्दर्शन करता है इसी मूल उद्देश्य को केन्द्र में रखकर ज्योतिष विभाग ने छात्रों के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया है, जिसमें लगभग 100 छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। 21 दिन का पाठ्यक्रम अलग-अलग शीर्षकों से निर्धारित है। इनमें स्थान के आधार पर सूर्योदय का निर्धारण, जन्म समय का सार्वभौमिक निर्धारण, जन्मांग चक्र निर्माण, षडवर्ग साधन तथा महादशा आदि साधन मुख्य विषय हैं। इस कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रहे छात्र 21 दिन में कुंडली निर्माण करना सीख जाएंगे। विभाग की ओर से आयोजित होने वाली अगली कार्यशाला में फलादेश के मूल सिद्धांतों व उदाहरणों के द्वारा छात्रों को कुण्डली से फल विवेचन करना सिखाया जाएगा। फलादेश का आधार कुण्डली है जिससे मनुष्य के भूत, वर्तमान व भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं का विश्लेषण किया जाता है। यही प्रैक्टिकल इस कार्यशाला में मुख्य रूप से कराया जा रहा है।


कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रभारी निदेशक प्रो.चंद्रकला आर.कोंडी ने कहा कि अपने भाग्य को लेकर हमारे समाज में हर व्यक्ति रुचि लेता और चिंतित रहता है। सनातन संस्कृति में जातक के ग्रहों का स्थान, स्थिति और दशा कुण्डली के माध्यम से पता चलती है। ग्रह दशा को ठीक करने के उपाय भी हैं। पौरोहित्य कर्म करने वाले हर व्यक्ति से समाज की अपेक्षा होती है कि वह उनकी ग्रह दशा के विषय में भी बताये अर्थात् उसे ज्योतिष का ज्ञान होना आवश्यक है। इस दृष्टि से ज्योतिष विभाग की यह कार्यशाला सभी छात्रों व समाज के लिए महत्त्वपूर्ण है।
ज्योतिष विभागीय प्राध्यापक व कार्यशाला के संयोजक डॉ. ब्रह्मानन्द मिश्रा ने बताया कि मानव जीवन में होने वाले सभी संस्कारों के निर्धारण में हमें मुहूर्त की आवश्यकता होती जिसे हम ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही निकालते हैं। साथ ही ज्योतिष आजीविका का अच्छा साधन है अतः छात्रों को गंभीरता पूर्वक अध्ययन करना चाहिए। साथ ही संस्कृत भाषा का अध्ययन करने वाले सभी छात्रों को इस का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। ज्योतिष का ज्ञान हमारे जीवन की अनेक परेशानियों को हल कर देता है। एक अच्छा ज्योतिषी समाज में संकटमोचक की भूमिका निभाता है। इन सब बातों को दृष्टिगत रखते हुए यह कार्यशाला आयोजित की गयी है। कुछ दिन बाद दूसरी कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसका शुल्क नाम मात्र का रखा गया है।
परिसर के निदेशक प्रो.पी.वी.बी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि इस कार्यशाला में वे छात्र भी भाग ले रहे हैं, जिनका मुख्य विषय ज्योतिष नहीं है। अर्थात् व्याकरण, साहित्य, वेदव न्याय पढ़ने वाले बच्चों को भी इस कार्यशाला का लाभ मिल रहा है। शाम के समय डेढ़ घंटे की इस कार्यशाला में परिसर की दैनिक पढ़ाई भी प्रभावित नहीं हो रही है।
कार्यशाला में डॉ. ब्रह्मानन्द मिश्रा के साथ ही डॉ. सुरेश शर्मा तथा डॉ. आशुतोष तिवारी छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
(डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल, जनसंपर्क अधिकारी)

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