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युवा कवि आयुष वालिया की माँ के नाम ये कविता सुर्खियों में, पेशे से शिक्षक हैं वालिया

युवा कवि आयुष वालिया की माँ के नाम ये कविता सुर्खियों में, पेशे से शिक्षक हैं वालिया

देहरादून…..

हे नारी तू ही काली तू ही भवानी तू ही तो मेरा सम्मान

तुझे ही तो दिया भगवान ने मां का दर्जा तेरे साथ ही लगा मुझे समाज यह अपना

भरत वंश के पानी की तो फिर एक बार पहचान कर शस्त्र उठा और दुष्टों पर प्रहार कर, याद करे रामायण में सीता के लिए तेरी चट्टाने है तेरे लिए ही तो यही तो सोने की लंका भी राख है, फिर एक बार तू अपने को अपने आप से मिला और इन दुष्टों को तू ही सही राह दिखा ….

तुझ में बसते हैं प्राण मेरे तेरी ही गोद में खेले राम मेरे एक बार फिर तू हुंकार भर और इस बार न्याय अपने आप से कर क्योंकि तुझ में ही छुपा हे स्वाभिमान तेरा…

हे नारी तू ही काली तू ही भवानी तू ही तो मेरा सम्मान

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