Wednesday, November 13, 2024
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उत्तराखंड

श्री घंटाकर्ण देवता मंदिर को सातवां धाम बनाने की घोषणा, बड़ी प्रसन्नता, लेकिन ये जानना भी जरूरी

श्री घंटाकर्ण देवता मंदिर को सातवां धाम बनाने की घोषणा, बड़ी प्रसन्नता का विषय है….. लेकिन ये जानना भी जरूरी है

आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा टिहरी की लोस्तू पट्टी में स्थित श्री घंडियाल देवता मंदिर को प्रदेश का सातवां धाम बनाने की घोषणा की गई है। यह हर्ष और गौरव के क्षण से कम नहीं है। यह स्थानीय विधायक विनोद कंडारी जी का प्रयास भी है, जिसकी सराहना होनी चाहिए। समस्त क्षेत्र वासियों में ख़ुशी है।

आप सभी जानते हैं प्रदेश के चार धामों को। प्रदेश में पंचम धाम सैन्य धाम है जो कि देहरादून में बनाया जा रहा है इसके साथ ही छठवां धाम सेम मुखेम के लिए भी घोषणा की गई है। अब सातवें धाम की घोषणा श्री घंटाकर्ण देवता मंदिर लोस्तू के लिए सीएम धामी जी ने की है।

महत्वपूर्ण सवाल है कि मंदिर कई सौ साल पुराना है लेकिन अभी तक मंदिर में रेगुलर बेस पर पुजारी (जो मंदिर में पूजा करे और सुबह शाम के वक्त दीया जलाए, जो भक्त आयें उनको प्रसाद दे, उनकी दान दक्षिणा को विधिवत स्वीकार कर सके) की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिर में जो लोग आते हैं उनको वहां पर कोई पुजारी नहीं मिलता। हालांकि जात (मेला-थौलों में) श्री घंडियाल देवता जी के पुजारी श्रीमान जोशी जी हैं जो वहां रात दिन मौजूद रहते हैं लेकिन अन्य समय पर नहीं (इसके कई वाजिब कारण हो सकते हैं) ऐसे में ये व्यवस्था भी जल्द से जल्द होनी चाहिए।

अब बात है सातवें धाम की घोषणा की, बहुत अच्छी बात है और इससे अच्छी शायद बात हो भी क्या सकती है कि हमारे इष्ट देव श्री घंटाकर्ण देवता जी का मंदिर सातवां धाम बनेगा। लेकिन इसके लिए क्या पूरी तरह से एक रूपरेखा तैयार की जा रही है अगर हैं तो कब तक। विधायक विनोद कंडारी जी (जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानता हूं) को इसको लेकर गम्भीरता से काम करना चाहिए। ताकि सातवें धाम की घोषणा के बाद किस तरह से मंदिर में व्यवस्था होगी उसपर सही ढंग से काम हो सके। वो मंदिर समिति के लोगों की सलाह तो लेंगे ही लेकिन मेरा मानना है कि ऐसे लोग, जो जानकारी रखते हैं उनसे भी सलाह लेंगे तो सही ही रहेगा।

अन्य बातें भी हैं कि इसके बाद क्षेत्र का किस तरह से विकास होगा, श्री घंडियाल देवता का मंदिर सातवां धाम बनने से श्रद्धालु जब पहुंचेंगे वो रूकना भी चाहें किस तरह की व्यवस्थाएं होंगी, स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार, आदि-आदि…………. काफी ज़्यादा हो जाएगा वो आगे लिखूंगा- ये लेखक के निजी विचार हैं।

श्री घंटाकर्ण देवता की जय हो

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