देवप्रयाग में स्वस्थ है गंगा, बड़े शहरों में बीमार सीजीएपीपी की महिला टीम ने सराहा रघुनाथ कीर्ति परिसर का प्रयास
देवप्रयाग में स्वस्थ है गंगा, बड़े शहरों में बीमार
सीजीएपीपी की महिला टीम ने सराहा रघुनाथ कीर्ति परिसर का प्रयास
देवप्रयाग। स्वच्छता के लिहाज से देवप्रयाग में गंगा की स्थिति बेहतर है। यह यहां प्रदूषणमुक्त है, परन्तु हरिद्वार के बाद मैदानी क्षेत्रों में इसकी दशा बेहद खराब है। इसलिए इसकी स्वच्छता के लिए और प्रयास किये जाने चाहिए।
यह मानना है दि सेंट्रल फॉर ग्लोबल अफेयर्स एंड पब्लिक पॉलिसी (सीजीएपीपी) के शोधार्थियों का। उन्होंने उत्तराखण्ड में विभिन्न स्थानों पर गंगा की स्थिति का अवलोकन कर स्थानीय लोगों खासकर विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने-अपने शिक्षण संस्थानों के माध्यम से अभियान चलाकर गंगा की स्वच्छता में योगदान दें।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर द्वारा हर शुक्रवार को रामकुंड घाट पर आयोजित की जाने वाली गंगा आरती में शामिल होकर इन रिसर्च स्कॉलर ने छात्रों द्वारा यहां पर सफाई अभियान चलाए जाने की सराहना करते हुए कहा कि युवा शक्ति ही गंगा प्रदूषण जैसी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक और समस्या से निपट सकती है। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के विद्यार्थियों से कहा कि वे गंगा जैसी राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा के लिए तत्पर रहें।
उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि प्लास्टिक का प्रयोग करना तत्काल बन्द करें और समाज को भी इसकी प्रेरणा दें। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया उन्हें पता चला है कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में गंगा निर्मल है, परन्तु मैदानी इलाकों में यह बहुत जटिल समस्या की चपेट में है। प्रोजेक्ट को लीड कर रही डॉ0 मानसी बल भार्गव ने कहा कि करोड़ों लोगों की आर्थिकी से जुड़ी गंगा का इस प्रकार बीमार होना भविष्य के लिए बड़ी चिंता है। उन्होंने बच्चों का आह्वान किया वे न केवल विद्यार्थी जीवन में, बल्कि आजीवन इसी प्रकार गंगा के प्रति संवेदनशील रहें। गंगा में प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण पर शोध कर रही टीम में शामिल रिसर्चर ने बताया कि देवप्रयाग में गंगा की स्थिति बहुत सुंदर है, इसे बरकरार रखा जाए। उन्होंने कहा कि हमें गंगा की आवश्यकता है, न कि गंगा को हमारी जरूरत। इसलिए गंगा की रक्षा करना हमारे जीवन के लिहाज से आवश्यक है। 15 सदस्यीय यह महिला टीम एक परियोजना के तहत भारत में 12 स्थानों तथा बंग्लादेश में गंगा में हो रहे प्रदूषण पर शोध रही है।
इस अवसर पर प्रोजेक्ट टीम सदस्य शोधार्थी प्रीति चौहान, मोनामी भट्टाचार्या के साथ ही श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के प्राध्यापक डॉ0 अनिल कुमार, डॉ0 रामबहादुर दूबे, डॉ0 वीरेन्द्र सिंह बर्त्वाल, डॉ0 अमन्द मिश्र, डॉ0 श्रीओम शर्मा, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, डॉ0 मनीषा आर्या, डॉ0 मौनिका बोल्ला, जनार्दन सुबेदी आदि उपस्थित थे।